नि:शंकिता: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> सम्यग्दर्शन का प्रथम अंग । इसमें जिन भाषित धर्म के सूक्ष्म तत्त्व-चिंतन में आप्त पुरुषों के वचन अन्यथा नहीं हो सकते ऐसा विश्वास होता है । <span class="GRef"> महापुराण 63.312-313, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 6.63 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सम्यग्दर्शन का प्रथम अंग । इसमें जिन भाषित धर्म के सूक्ष्म तत्त्व-चिंतन में आप्त पुरुषों के वचन अन्यथा नहीं हो सकते ऐसा विश्वास होता है । <span class="GRef"> महापुराण 63.312-313, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 6.63 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:54, 14 November 2020
सम्यग्दर्शन का प्रथम अंग । इसमें जिन भाषित धर्म के सूक्ष्म तत्त्व-चिंतन में आप्त पुरुषों के वचन अन्यथा नहीं हो सकते ऐसा विश्वास होता है । महापुराण 63.312-313, वीरवर्द्धमान चरित्र 6.63