परिशातन: Difference between revisions
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<li class="HindiText"><strong>पाँचों शरीरों की संघातन परिशातन कृति - </strong> | <li class="HindiText"><strong>पाँचों शरीरों की संघातन परिशातन कृति - </strong>दे.<span class="GRef"> धवला 9/355-451 </span>। <br /> | ||
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<li class="HindiText"><strong>पाँचों शरीरों की जघन्य उत्कृष्ट परिशातन कृति -</strong> | <li class="HindiText"><strong>पाँचों शरीरों की जघन्य उत्कृष्ट परिशातन कृति -</strong> दे.<span class="GRef"> धवला 9/339-438 </span>। <br /> | ||
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<li class="HindiText"><strong>संघातन परिशातन (उभयरूप) कृति -</strong> देखें [[ संघातन ]]।</li> | <li class="HindiText"><strong>संघातन परिशातन (उभयरूप) कृति -</strong> देखें [[ संघातन ]]।</li> |
Revision as of 13:00, 14 October 2020
धवला 9/4,1,69/327/1 तेसिं चेव अप्पिदसरीरपोग्ग-लक्खंधाणं संचएण विणा जा णिज्जरा सा परिसादणकदी णाम। = (पाँचों शरीरों में से) विवक्षित शरीर के पुद्गलस्कंधों की संचय के बिना जो निर्जरा होती है, वह परिशातन कृति कहलाती है।
- * अन्य संबंधित विषय
- पाँचों शरीरों की संघातन परिशातन कृति - दे. धवला 9/355-451 ।
- पाँचों शरीरों की जघन्य उत्कृष्ट परिशातन कृति - दे. धवला 9/339-438 ।
- संघातन परिशातन (उभयरूप) कृति - देखें संघातन ।