पिपासा: Difference between revisions
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<li><strong class="HindiText" name="1" id="1"> पिपासा परीषह का लक्षण </strong><br /> | <li><strong class="HindiText" name="1" id="1"> पिपासा परीषह का लक्षण </strong><br /> | ||
<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/9/9/420/12 </span>....<span class="SanskritText">विरुद्धाहारग्रैष्मातपपित्तज्वरानशनाविभिरुदर्णां शरीरेंद्रियोंमाथिनों पिपासां प्रत्यानाद्रियमाणप्रतिकारस्य पिपासानलशिखां धृतिनवमृदुघटपूरितशीतलसुगंधिसमाधिवारिणा प्रशमयतः पिपासासहनं प्रशस्यते। </span>= <span class="HindiText">जो अतिरूक्ष आदि विरुद्ध आहार, ग्रीष्म कालीन आतप, पित्तज्वर और अनशन आदि के कारण उत्पन्न हुई तथा शरीर और इंद्रियों का मंथन करनेवाली पिपासा का प्रतिकार करने में आदर भाव नहीं रखता और पिपासारूपी अग्नि को संतोषरूपी नूतन मिट्टी के घड़े में भरे हुए शीतल सुगंधि समाधिरूपी जल से शांत कर रहा है उसके पिपासाजय प्रशंसा के योग्य है। (<span class="GRef"> राजवार्तिक/9/9/3/608/24 </span>); (<span class="GRef"> चारित्रसार/110/3 </span>)। <br /> | |||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
- पिपासा परीषह का लक्षण
सर्वार्थसिद्धि/9/9/420/12 ....विरुद्धाहारग्रैष्मातपपित्तज्वरानशनाविभिरुदर्णां शरीरेंद्रियोंमाथिनों पिपासां प्रत्यानाद्रियमाणप्रतिकारस्य पिपासानलशिखां धृतिनवमृदुघटपूरितशीतलसुगंधिसमाधिवारिणा प्रशमयतः पिपासासहनं प्रशस्यते। = जो अतिरूक्ष आदि विरुद्ध आहार, ग्रीष्म कालीन आतप, पित्तज्वर और अनशन आदि के कारण उत्पन्न हुई तथा शरीर और इंद्रियों का मंथन करनेवाली पिपासा का प्रतिकार करने में आदर भाव नहीं रखता और पिपासारूपी अग्नि को संतोषरूपी नूतन मिट्टी के घड़े में भरे हुए शीतल सुगंधि समाधिरूपी जल से शांत कर रहा है उसके पिपासाजय प्रशंसा के योग्य है। ( राजवार्तिक/9/9/3/608/24 ); ( चारित्रसार/110/3 )।
- क्षुधा व पिपासा परीषह में अंतर- देखें क्षुधा ।