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<p> श्रुतपुर नगर का राजा । यह बगुले के समान धर्महीन था । नरमांस भक्षी होने से प्रजा द्वारा नगर से निष्कासित कर दिया गया था । यह वन में रहा और वहाँ भी नर-मांस खाता रहा । नगरवासी इसे प्रति परिवार एक मनुष्य भेजते रहे । एक दिन किसी वैश्यपत्नी के निवेदन पर कुंती ने अपने पुत्र भीम से इसका प्रतिकार करने को कहा । माँ का आदेश प्राप्त कर भीम ने इससे युद्ध किया और इसका मान-मर्दन किया । अंत में यह मनुष्यों का बात करने से विरक्त हो गया । <span class="GRef"> पांडवपुराण 14. 85-136 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> श्रुतपुर नगर का राजा । यह बगुले के समान धर्महीन था । नरमांस भक्षी होने से प्रजा द्वारा नगर से निष्कासित कर दिया गया था । यह वन में रहा और वहाँ भी नर-मांस खाता रहा । नगरवासी इसे प्रति परिवार एक मनुष्य भेजते रहे । एक दिन किसी वैश्यपत्नी के निवेदन पर कुंती ने अपने पुत्र भीम से इसका प्रतिकार करने को कहा । माँ का आदेश प्राप्त कर भीम ने इससे युद्ध किया और इसका मान-मर्दन किया । अंत में यह मनुष्यों का बात करने से विरक्त हो गया । <span class="GRef"> पांडवपुराण 14. 85-136 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
श्रुतपुर नगर का राजा । यह बगुले के समान धर्महीन था । नरमांस भक्षी होने से प्रजा द्वारा नगर से निष्कासित कर दिया गया था । यह वन में रहा और वहाँ भी नर-मांस खाता रहा । नगरवासी इसे प्रति परिवार एक मनुष्य भेजते रहे । एक दिन किसी वैश्यपत्नी के निवेदन पर कुंती ने अपने पुत्र भीम से इसका प्रतिकार करने को कहा । माँ का आदेश प्राप्त कर भीम ने इससे युद्ध किया और इसका मान-मर्दन किया । अंत में यह मनुष्यों का बात करने से विरक्त हो गया । पांडवपुराण 14. 85-136