इज्या: Difference between revisions
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<p | <p> महापुराण सर्ग संख्या 67/193याज्ञो यज्ञः क्रतुः सपर्येज्याध्वरो मखः। मह इत्यपि पर्यायवचनान्यर्चनाविधेः ॥193॥</p> | ||
<p | <p>= याग, यज्ञ, क्रतु, पूजा, सपर्या, इज्या, अध्वर, मख, और मह ये सब पूजा विधिके पर्यायवाचक शब्द हैं ॥193॥</p> | ||
<p | <p> चारित्रसार पृष्ठ 43/1 तत्रार्हत्पूजेज्या, सा च नित्यमहश्चतुर्मुखं कल्पवृक्षोऽष्टाह्निक ऐन्द्रध्वज इति।</p> | ||
<p | <p>= अर्हन्त भगवान्की पूजा करना इज्या कहलाती है उसके नित्यमह, चतुर्मुख, कल्पवृक्ष अष्टाह्निक और इन्द्रध्वज यह पाँच भेद हैं।</p> | ||
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Revision as of 16:57, 10 June 2020
महापुराण सर्ग संख्या 67/193याज्ञो यज्ञः क्रतुः सपर्येज्याध्वरो मखः। मह इत्यपि पर्यायवचनान्यर्चनाविधेः ॥193॥
= याग, यज्ञ, क्रतु, पूजा, सपर्या, इज्या, अध्वर, मख, और मह ये सब पूजा विधिके पर्यायवाचक शब्द हैं ॥193॥
चारित्रसार पृष्ठ 43/1 तत्रार्हत्पूजेज्या, सा च नित्यमहश्चतुर्मुखं कल्पवृक्षोऽष्टाह्निक ऐन्द्रध्वज इति।
= अर्हन्त भगवान्की पूजा करना इज्या कहलाती है उसके नित्यमह, चतुर्मुख, कल्पवृक्ष अष्टाह्निक और इन्द्रध्वज यह पाँच भेद हैं।