वज्रमध्य: Difference between revisions
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<p id="1">(1) एक विद्याधर राजा । यह अपने पुत्र प्रमोद को राक्षसवंश की संपदा सौंपकर तपस्वी हो गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.395 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) एक विद्याधर राजा । यह अपने पुत्र प्रमोद को राक्षसवंश की संपदा सौंपकर तपस्वी हो गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.395 </span></p> | ||
<p id="2">(2) दैत्यराज मय का मंत्री । <span class="GRef"> पद्मपुराण 8.43 </span></p> | <p id="2">(2) दैत्यराज मय का मंत्री । <span class="GRef"> पद्मपुराण 8.43 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक व्रत । इसमें आरंभ में पांच और पश्चात् एक-एक कम करते हुए अंत में एक उपवास करने के पश्चात् एक-एक उपवास को बढ़ाते हुए अंत में पांच उपवास किये जाते हैं इस प्रकार कुल उनतीस उपवास और नौ पारणाएँ की जाती हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.62-63 </span></p> | <p id="3">(3) एक व्रत । इसमें आरंभ में पांच और पश्चात् एक-एक कम करते हुए अंत में एक उपवास करने के पश्चात् एक-एक उपवास को बढ़ाते हुए अंत में पांच उपवास किये जाते हैं इस प्रकार कुल उनतीस उपवास और नौ पारणाएँ की जाती हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.62-63 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) एक विद्याधर राजा । यह अपने पुत्र प्रमोद को राक्षसवंश की संपदा सौंपकर तपस्वी हो गया था । पद्मपुराण 5.395
(2) दैत्यराज मय का मंत्री । पद्मपुराण 8.43
(3) एक व्रत । इसमें आरंभ में पांच और पश्चात् एक-एक कम करते हुए अंत में एक उपवास करने के पश्चात् एक-एक उपवास को बढ़ाते हुए अंत में पांच उपवास किये जाते हैं इस प्रकार कुल उनतीस उपवास और नौ पारणाएँ की जाती हैं । हरिवंशपुराण 34.62-63