वरसेन: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) राजा नंदिषेण और रानी अनंतमती का पुत्र । यह मणिकुंडल देव का जीव था । <span class="GRef"> महापुराण 10.150 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) राजा नंदिषेण और रानी अनंतमती का पुत्र । यह मणिकुंडल देव का जीव था । <span class="GRef"> महापुराण 10.150 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विदेहक्षेत्र की पुंडरीकिणी नगरी के राजा विमलसेन का पुत्र । पिता की आज्ञा से यह श्रीपालकुमार को उसके बंधु वर्ग के समीप ले जा रहा था । विमलपुर नगर के पास श्रीपाल को अकेला छोड़कर यह जल लेने गया । इधर सुखावती विद्याधरी ने श्रीपाल को कन्या का रूप दे दिया था । अत: यह श्रीपाल को इष्ट स्थान नहीं ले जा सका । <span class="GRef"> महापुराण 47.114-117 </span></p> | <p id="2">(2) विदेहक्षेत्र की पुंडरीकिणी नगरी के राजा विमलसेन का पुत्र । पिता की आज्ञा से यह श्रीपालकुमार को उसके बंधु वर्ग के समीप ले जा रहा था । विमलपुर नगर के पास श्रीपाल को अकेला छोड़कर यह जल लेने गया । इधर सुखावती विद्याधरी ने श्रीपाल को कन्या का रूप दे दिया था । अत: यह श्रीपाल को इष्ट स्थान नहीं ले जा सका । <span class="GRef"> महापुराण 47.114-117 </span></p> | ||
<p id="3">(3) भरतक्षेत्र के चक्रपुर नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थी― लक्ष्मीमती और वैजयंती । रानी लक्ष्मीमती से नारायण पुंडरीक तथा वैजयंती रानी से बलभद्र नंदिषेण हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 65.174-177 </span></p> | <p id="3">(3) भरतक्षेत्र के चक्रपुर नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थी― लक्ष्मीमती और वैजयंती । रानी लक्ष्मीमती से नारायण पुंडरीक तथा वैजयंती रानी से बलभद्र नंदिषेण हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 65.174-177 </span></p> | ||
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<p id="5">(5) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा दृढ़रथ और रानी सुमति का पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 63. 142-148, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 5.53-58 </span></p> | <p id="5">(5) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा दृढ़रथ और रानी सुमति का पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 63. 142-148, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 5.53-58 </span></p> | ||
<p id="6">(6) विदेहक्षेत्र में स्थित पाटली ग्राम के वैश्य नागदत्त और उसकी पत्नी सुमति का पुत्र । इसके नंद, नंदिमित्र और नंदिषेण तीन बड़े भाई और जयसेन नाम का एक छोटा भाई था । मदनकांता और श्रीकांता इसकी ये दो बहनें भी थीं । <span class="GRef"> महापुराण 6.126-130 </span></p> | <p id="6">(6) विदेहक्षेत्र में स्थित पाटली ग्राम के वैश्य नागदत्त और उसकी पत्नी सुमति का पुत्र । इसके नंद, नंदिमित्र और नंदिषेण तीन बड़े भाई और जयसेन नाम का एक छोटा भाई था । मदनकांता और श्रीकांता इसकी ये दो बहनें भी थीं । <span class="GRef"> महापुराण 6.126-130 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) राजा नंदिषेण और रानी अनंतमती का पुत्र । यह मणिकुंडल देव का जीव था । महापुराण 10.150
(2) विदेहक्षेत्र की पुंडरीकिणी नगरी के राजा विमलसेन का पुत्र । पिता की आज्ञा से यह श्रीपालकुमार को उसके बंधु वर्ग के समीप ले जा रहा था । विमलपुर नगर के पास श्रीपाल को अकेला छोड़कर यह जल लेने गया । इधर सुखावती विद्याधरी ने श्रीपाल को कन्या का रूप दे दिया था । अत: यह श्रीपाल को इष्ट स्थान नहीं ले जा सका । महापुराण 47.114-117
(3) भरतक्षेत्र के चक्रपुर नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थी― लक्ष्मीमती और वैजयंती । रानी लक्ष्मीमती से नारायण पुंडरीक तथा वैजयंती रानी से बलभद्र नंदिषेण हुए थे । महापुराण 65.174-177
(4) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा महासेन और रानी सुंदरी का कनिष्ठ पुत्र । यह उग्रसेन का छोटा भाई था । वसुंधरा इसकी बहिन थी । महापुराण 76.262-263, 265
(5) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा दृढ़रथ और रानी सुमति का पुत्र । महापुराण 63. 142-148, पांडवपुराण 5.53-58
(6) विदेहक्षेत्र में स्थित पाटली ग्राम के वैश्य नागदत्त और उसकी पत्नी सुमति का पुत्र । इसके नंद, नंदिमित्र और नंदिषेण तीन बड़े भाई और जयसेन नाम का एक छोटा भाई था । मदनकांता और श्रीकांता इसकी ये दो बहनें भी थीं । महापुराण 6.126-130