वसुंधरा: Difference between revisions
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रुचक पर्वत निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी। - देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]। | रुचक पर्वत निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी। - देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]। | ||
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<p id="1"> (1) एक देवी । यह रुचकवर पर्वत के दक्षिण में विद्यमान आठ कूटों में सातवें चंद्रकूट पर रहती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 710 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक देवी । यह रुचकवर पर्वत के दक्षिण में विद्यमान आठ कूटों में सातवें चंद्रकूट पर रहती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 710 </span></p> | ||
<p id="2">(2) श्वेतांबिका नगरी के राजा वासव की रानी । यह नंदयशा की जननी थी । इसका अपर नाम वसुंधरी था । <span class="GRef"> महापुराण 71.283, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 161 </span></p> | <p id="2">(2) श्वेतांबिका नगरी के राजा वासव की रानी । यह नंदयशा की जननी थी । इसका अपर नाम वसुंधरी था । <span class="GRef"> महापुराण 71.283, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 161 </span></p> | ||
<p id="3">(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभावती अपर नाम प्रभाकरी नगरी के राजा स्तिमितसागर की रानी । यह अपराजित की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 62.412-413, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.246-247 </span></p> | <p id="3">(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभावती अपर नाम प्रभाकरी नगरी के राजा स्तिमितसागर की रानी । यह अपराजित की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 62.412-413, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.246-247 </span></p> | ||
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<p id="9">(9) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा महासेन की पुत्री । उग्रसेन और वरसेन इसके भाई थे । इसका विवाह प्रीतिंकर के साथ किया गया या । इसके पिता ने इसके पुत्र प्रियंकर को राज्य सौंप कर के तीर्थंकर महावीर से संयम ले लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 76.265, 346-347, 385-386 </span></p> | <p id="9">(9) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा महासेन की पुत्री । उग्रसेन और वरसेन इसके भाई थे । इसका विवाह प्रीतिंकर के साथ किया गया या । इसके पिता ने इसके पुत्र प्रियंकर को राज्य सौंप कर के तीर्थंकर महावीर से संयम ले लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 76.265, 346-347, 385-386 </span></p> | ||
<p id="10">(10) रावण की अनेक रानियों में एक रानी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 77.14 </span></p> | <p id="10">(10) रावण की अनेक रानियों में एक रानी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 77.14 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
रुचक पर्वत निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी। - देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) एक देवी । यह रुचकवर पर्वत के दक्षिण में विद्यमान आठ कूटों में सातवें चंद्रकूट पर रहती है । हरिवंशपुराण 5. 710
(2) श्वेतांबिका नगरी के राजा वासव की रानी । यह नंदयशा की जननी थी । इसका अपर नाम वसुंधरी था । महापुराण 71.283, हरिवंशपुराण 33. 161
(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभावती अपर नाम प्रभाकरी नगरी के राजा स्तिमितसागर की रानी । यह अपराजित की जननी थी । महापुराण 62.412-413, पांडवपुराण 4.246-247
(4) जंबूद्वीप के पुष्कलावती देश में उत्पलखेटक नगर के राजा वज्रबाहु की रानी । यह वज्रसंघ की जननी थी । महापुराण 6.26-29
(5) जंबूद्वीप के पुष्कलावती देश में उत्पलखेटक नगर के राजा वज्रबाहु की रानी । यह वज्रसंघ की जननी थी । महापुराण 6.26-29
(6) धातकीखंड द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी के राजा महासेन की रानी । यह जयसेन की जननी थी । महापुराण 7.84-86
(7) राजा यशोधर की रानी । वज्रदंत इसका पुत्र था । महापुराण 7.102
(8) सुजन-देश के नगरशोभनगर के राजा दृढ़मित्र के भाई सुमित्र की पत्नी । श्रीचंद्रा इसी की पुत्री थी । महापुराण 75.438-439
(9) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा महासेन की पुत्री । उग्रसेन और वरसेन इसके भाई थे । इसका विवाह प्रीतिंकर के साथ किया गया या । इसके पिता ने इसके पुत्र प्रियंकर को राज्य सौंप कर के तीर्थंकर महावीर से संयम ले लिया था । महापुराण 76.265, 346-347, 385-386
(10) रावण की अनेक रानियों में एक रानी । पद्मपुराण 77.14