वासुकि: Difference between revisions
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कुंडल पर्वत के महाप्रभकूट का स्वामी नागेंद्र देव।–देखें [[ लोक#5.12 | लोक - 5.12]]। | कुंडल पर्वत के महाप्रभकूट का स्वामी नागेंद्र देव।–देखें [[ लोक#5.12 | लोक - 5.12]]। | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1">(1) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.37 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.37 </span></p> | ||
<p id="2">(2) कुंडलगिरि का दक्षिण दिशा में विद्यमान महाप्रभकूट का निवासी देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.692 </span></p> | <p id="2">(2) कुंडलगिरि का दक्षिण दिशा में विद्यमान महाप्रभकूट का निवासी देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.692 </span></p> | ||
<p id="3">(3) कुरुवंशी एक नृप । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.26 </span></p> | <p id="3">(3) कुरुवंशी एक नृप । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.26 </span></p> | ||
<p id="4">(4) समुद्रविजय के छोटे भाई राजा धरण का ज्येष्ठ पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.50 </span></p> | <p id="4">(4) समुद्रविजय के छोटे भाई राजा धरण का ज्येष्ठ पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.50 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
कुंडल पर्वत के महाप्रभकूट का स्वामी नागेंद्र देव।–देखें लोक - 5.12।
पुराणकोष से
(1) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.37
(2) कुंडलगिरि का दक्षिण दिशा में विद्यमान महाप्रभकूट का निवासी देव । हरिवंशपुराण 5.692
(3) कुरुवंशी एक नृप । हरिवंशपुराण 45.26
(4) समुद्रविजय के छोटे भाई राजा धरण का ज्येष्ठ पुत्र । हरिवंशपुराण 48.50