वितर्क: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p> तत्त्वार्थसूत्र/9/43 <span class="SanskritText">वितर्कः श्रुतम्।43।</span> = <span class="HindiText">वितर्क का अर्थ श्रुत है। <br /> | <p><span class="GRef"> तत्त्वार्थसूत्र/9/43 </span><span class="SanskritText">वितर्कः श्रुतम्।43।</span> = <span class="HindiText">वितर्क का अर्थ श्रुत है। <br /> | ||
देखें [[ ऊहा ]]–(विशेष रूप से ऊहा या तर्कणा करना वितर्क अर्थात् श्रुतज्ञान कहलाता है। <br /> | देखें [[ ऊहा ]]–(विशेष रूप से ऊहा या तर्कणा करना वितर्क अर्थात् श्रुतज्ञान कहलाता है। <br /> | ||
देखें [[ विचार ]]–(विषय के प्रथम ज्ञान को वितर्क कहते हैं।) </span><br /> | देखें [[ विचार ]]–(विषय के प्रथम ज्ञान को वितर्क कहते हैं।) </span><br /> | ||
<span class="GRef"> द्रव्यसंग्रह टीका/48/203/6 </span><span class="SanskritText">स्वशुद्धात्मानुभूतिलक्षणं भावश्रुतं तद्वाचकमंतर्जल्पवचनं वा वितर्को भण्यते।</span> = <span class="HindiText">निज शुद्ध आत्मा का अनुभवरूप भावश्रुत अथवा निज शुद्धात्मा को कहने वाला जो अंतरंग जल्प (सूक्ष्म शब्द) है वह वितर्क है। </span></p> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 13:02, 14 October 2020
== सिद्धांतकोष से ==
तत्त्वार्थसूत्र/9/43 वितर्कः श्रुतम्।43। = वितर्क का अर्थ श्रुत है।
देखें ऊहा –(विशेष रूप से ऊहा या तर्कणा करना वितर्क अर्थात् श्रुतज्ञान कहलाता है।
देखें विचार –(विषय के प्रथम ज्ञान को वितर्क कहते हैं।)
द्रव्यसंग्रह टीका/48/203/6 स्वशुद्धात्मानुभूतिलक्षणं भावश्रुतं तद्वाचकमंतर्जल्पवचनं वा वितर्को भण्यते। = निज शुद्ध आत्मा का अनुभवरूप भावश्रुत अथवा निज शुद्धात्मा को कहने वाला जो अंतरंग जल्प (सूक्ष्म शब्द) है वह वितर्क है।
पुराणकोष से
श्रुत (शास्त्र) । महापुराण 21. 172