विद्युद्वक्त्रा: Difference between revisions
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<p id="1">(1) एक गदा । चिंतागति देव ने यह गदा लक्ष्मण को दी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 60. 140 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) एक गदा । चिंतागति देव ने यह गदा लक्ष्मण को दी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 60. 140 </span></p> | ||
<p id="2">(2) महेंद्रोदय उद्यान की एक राक्षसी । इसने सर्वभूषण मुनिराज पर अनेक उपसर्ग किये थे । यह पूर्वभव में इन्हीं मुनिराज की आठ सौ स्त्रियों में किरणमंडला नाम की प्रधान स्त्री थी । इसने अपने मामा के पुत्र हेमशिख का सोते समय बार-बार नाम उच्चारण किया था । इसकी इस घटना से इसका पति और यह साध्वी हो गयी था । आयु के अंत में किसी कलुषित भावना से मरकर यह राक्षसी हुई । <span class="GRef"> पद्मपुराण 104.99-117 </span></p> | <p id="2">(2) महेंद्रोदय उद्यान की एक राक्षसी । इसने सर्वभूषण मुनिराज पर अनेक उपसर्ग किये थे । यह पूर्वभव में इन्हीं मुनिराज की आठ सौ स्त्रियों में किरणमंडला नाम की प्रधान स्त्री थी । इसने अपने मामा के पुत्र हेमशिख का सोते समय बार-बार नाम उच्चारण किया था । इसकी इस घटना से इसका पति और यह साध्वी हो गयी था । आयु के अंत में किसी कलुषित भावना से मरकर यह राक्षसी हुई । <span class="GRef"> पद्मपुराण 104.99-117 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) एक गदा । चिंतागति देव ने यह गदा लक्ष्मण को दी थी । पद्मपुराण 60. 140
(2) महेंद्रोदय उद्यान की एक राक्षसी । इसने सर्वभूषण मुनिराज पर अनेक उपसर्ग किये थे । यह पूर्वभव में इन्हीं मुनिराज की आठ सौ स्त्रियों में किरणमंडला नाम की प्रधान स्त्री थी । इसने अपने मामा के पुत्र हेमशिख का सोते समय बार-बार नाम उच्चारण किया था । इसकी इस घटना से इसका पति और यह साध्वी हो गयी था । आयु के अंत में किसी कलुषित भावना से मरकर यह राक्षसी हुई । पद्मपुराण 104.99-117