विनीता: Difference between revisions
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<p> जंबूद्वीपस्थ भरतक्षेत्र के आर्यखंड में कौशल देश की नगरी अयोध्या । प्रजा के विनयगुण के कारण यह इस नाम से विख्यात थी । इसका अपर नाम साकेत था । तीर्थंकर वृषभदेव, अनंतनाथ, चक्रवर्ती भरतेश और सगर, आठवें बलभद्र और नारायण की यह जन्मभूमि है । यह नगरी नौ योजन चौड़ी तथा बारह योजन लंबी है । <span class="GRef"> महापुराण 12.76-78, 34.1 </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 36-37, 50, 128-129, 218-222, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.42, 11.56, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.246, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.59 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीपस्थ भरतक्षेत्र के आर्यखंड में कौशल देश की नगरी अयोध्या । प्रजा के विनयगुण के कारण यह इस नाम से विख्यात थी । इसका अपर नाम साकेत था । तीर्थंकर वृषभदेव, अनंतनाथ, चक्रवर्ती भरतेश और सगर, आठवें बलभद्र और नारायण की यह जन्मभूमि है । यह नगरी नौ योजन चौड़ी तथा बारह योजन लंबी है । <span class="GRef"> महापुराण 12.76-78, 34.1 </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 36-37, 50, 128-129, 218-222, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.42, 11.56, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.246, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.59 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
जंबूद्वीपस्थ भरतक्षेत्र के आर्यखंड में कौशल देश की नगरी अयोध्या । प्रजा के विनयगुण के कारण यह इस नाम से विख्यात थी । इसका अपर नाम साकेत था । तीर्थंकर वृषभदेव, अनंतनाथ, चक्रवर्ती भरतेश और सगर, आठवें बलभद्र और नारायण की यह जन्मभूमि है । यह नगरी नौ योजन चौड़ी तथा बारह योजन लंबी है । महापुराण 12.76-78, 34.1 पद्मपुराण 20. 36-37, 50, 128-129, 218-222, हरिवंशपुराण 9.42, 11.56, पांडवपुराण 2.246, वीरवर्द्धमान चरित्र 2.59