विप्लुत: Difference between revisions
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<p> न्यायविनिश्चय/ वृ./1/49/311/21<span class="SanskritText"> विविधं प्लुतं प्लवनं तरंगदिषु यस्य स विप्लुतो जलचंद्रादिः। </span>= <span class="HindiText">विविध प्रकार से प्लुत सो विप्लुत अर्थात् जिसका तरंगादि में अनेक प्रकार से डूबना या तैरना हो रहा है, ऐसे जल में पड़े हुए चंद्र प्रतिबिंब आदि विप्लुत हैं। </span></p> | <p><span class="GRef"> न्यायविनिश्चय/ </span>वृ./1/49/311/21<span class="SanskritText"> विविधं प्लुतं प्लवनं तरंगदिषु यस्य स विप्लुतो जलचंद्रादिः। </span>= <span class="HindiText">विविध प्रकार से प्लुत सो विप्लुत अर्थात् जिसका तरंगादि में अनेक प्रकार से डूबना या तैरना हो रहा है, ऐसे जल में पड़े हुए चंद्र प्रतिबिंब आदि विप्लुत हैं। </span></p> | ||
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Revision as of 13:02, 14 October 2020
न्यायविनिश्चय/ वृ./1/49/311/21 विविधं प्लुतं प्लवनं तरंगदिषु यस्य स विप्लुतो जलचंद्रादिः। = विविध प्रकार से प्लुत सो विप्लुत अर्थात् जिसका तरंगादि में अनेक प्रकार से डूबना या तैरना हो रहा है, ऐसे जल में पड़े हुए चंद्र प्रतिबिंब आदि विप्लुत हैं।