विराट: Difference between revisions
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पां.पु./सर्ग/श्लो-विराट नगर का राजा था। (17/41)। वनवासी पाँचों पांडवों ने छद्मवेश में इसी का आश्रय लिया था। (17/42)। गोकुल हरण करने को उद्यत कौरवों के साथ युद्ध करता हुआ उनके बंधन में पड़ गया। (18/23)। तब गुप्तवेश में अर्जुन ने इसे मुक्त कराया। (18/40)। प्रसन्न होकर अपनी कन्या उत्तरा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से परणा दो। (18/163)। | पां.पु./सर्ग/श्लो-विराट नगर का राजा था। (17/41)। वनवासी पाँचों पांडवों ने छद्मवेश में इसी का आश्रय लिया था। (17/42)। गोकुल हरण करने को उद्यत कौरवों के साथ युद्ध करता हुआ उनके बंधन में पड़ गया। (18/23)। तब गुप्तवेश में अर्जुन ने इसे मुक्त कराया। (18/40)। प्रसन्न होकर अपनी कन्या उत्तरा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से परणा दो। (18/163)। | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) एक देश । महावीर यहाँ विहार करते हुए आये थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 1. 134, 17.246 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक देश । महावीर यहाँ विहार करते हुए आये थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 1. 134, 17.246 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक नगर । राजा विराट यहाँ के राजा थे । <span class="GRef"> महापुराण 72. 216, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.23, </span> </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 17.230 </span></p> | <p id="2">(2) एक नगर । राजा विराट यहाँ के राजा थे । <span class="GRef"> महापुराण 72. 216, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.23, </span> </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 17.230 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विराट नगर का राजा । पांडव छद्मवेश में इसी राजा के पास उनके सेवक बनकर बारह मास पर्यंत रहे थे । इसका गोकुल विख्यात था । राजा जालंधर ने इसकी गायों का हरण किया था । फलस्वरूप इसने जालंधर से युद्ध किया और युद्ध में यह पकड़ा गया था । युधिष्ठिर के कहने पर भीम ने तो इसे मुक्त कराया और अर्जुन ने इसकी गायें मुक्त कराई थी । इस सहयोग से कृतार्थ होकर इसने अपनी पुत्री उत्तरा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के साथ विवाही थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.216, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.23, </span> </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 17.241-244, 18-28-31, 40-41, 163-164 </span></p> | <p id="3">(3) विराट नगर का राजा । पांडव छद्मवेश में इसी राजा के पास उनके सेवक बनकर बारह मास पर्यंत रहे थे । इसका गोकुल विख्यात था । राजा जालंधर ने इसकी गायों का हरण किया था । फलस्वरूप इसने जालंधर से युद्ध किया और युद्ध में यह पकड़ा गया था । युधिष्ठिर के कहने पर भीम ने तो इसे मुक्त कराया और अर्जुन ने इसकी गायें मुक्त कराई थी । इस सहयोग से कृतार्थ होकर इसने अपनी पुत्री उत्तरा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के साथ विवाही थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.216, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.23, </span> </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 17.241-244, 18-28-31, 40-41, 163-164 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
पां.पु./सर्ग/श्लो-विराट नगर का राजा था। (17/41)। वनवासी पाँचों पांडवों ने छद्मवेश में इसी का आश्रय लिया था। (17/42)। गोकुल हरण करने को उद्यत कौरवों के साथ युद्ध करता हुआ उनके बंधन में पड़ गया। (18/23)। तब गुप्तवेश में अर्जुन ने इसे मुक्त कराया। (18/40)। प्रसन्न होकर अपनी कन्या उत्तरा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से परणा दो। (18/163)।
पुराणकोष से
(1) एक देश । महावीर यहाँ विहार करते हुए आये थे । पांडवपुराण 1. 134, 17.246
(2) एक नगर । राजा विराट यहाँ के राजा थे । महापुराण 72. 216, हरिवंशपुराण 46.23, पांडवपुराण 17.230
(3) विराट नगर का राजा । पांडव छद्मवेश में इसी राजा के पास उनके सेवक बनकर बारह मास पर्यंत रहे थे । इसका गोकुल विख्यात था । राजा जालंधर ने इसकी गायों का हरण किया था । फलस्वरूप इसने जालंधर से युद्ध किया और युद्ध में यह पकड़ा गया था । युधिष्ठिर के कहने पर भीम ने तो इसे मुक्त कराया और अर्जुन ने इसकी गायें मुक्त कराई थी । इस सहयोग से कृतार्थ होकर इसने अपनी पुत्री उत्तरा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के साथ विवाही थी । महापुराण 72.216, हरिवंशपुराण 46.23, पांडवपुराण 17.241-244, 18-28-31, 40-41, 163-164