वैताड्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> एक पर्वत । शौर्यपुर के तापस सुमित्र के पुत्र नारद को जुंभकदेव पूर्वभव के स्नेहवश इसी पर्वत पर लाया था । नारद का यहाँ दिव्य-आहार से पालन-पोषण हुआ था । देवों ने यही उसे आकाशगामिनी विद्या दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 42.14-19 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> एक पर्वत । शौर्यपुर के तापस सुमित्र के पुत्र नारद को जुंभकदेव पूर्वभव के स्नेहवश इसी पर्वत पर लाया था । नारद का यहाँ दिव्य-आहार से पालन-पोषण हुआ था । देवों ने यही उसे आकाशगामिनी विद्या दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 42.14-19 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:58, 14 November 2020
एक पर्वत । शौर्यपुर के तापस सुमित्र के पुत्र नारद को जुंभकदेव पूर्वभव के स्नेहवश इसी पर्वत पर लाया था । नारद का यहाँ दिव्य-आहार से पालन-पोषण हुआ था । देवों ने यही उसे आकाशगामिनी विद्या दी थी । हरिवंशपुराण 42.14-19