शिवलाल (पं.): Difference between revisions
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आप एक उच्चकोटि के विद्वान् थे। अनेक ग्रंथों की देश भाषामय टीकाएँ लिखी हैं। यथा - भगवती आराधना, रत्नकरंड श्रा., चर्चासंग्रह, बोधसार, दर्शनसार, अध्यात्म तरंगिनी आदि ग्रंथों की भाषा टीका। समय - वि.1818 (ई.1761); ( भगवती आराधना/ प्र.25 प्रेमीजी)। | आप एक उच्चकोटि के विद्वान् थे। अनेक ग्रंथों की देश भाषामय टीकाएँ लिखी हैं। यथा - भगवती आराधना, रत्नकरंड श्रा., चर्चासंग्रह, बोधसार, दर्शनसार, अध्यात्म तरंगिनी आदि ग्रंथों की भाषा टीका। समय - वि.1818 (ई.1761); (<span class="GRef"> भगवती आराधना/ </span>प्र.25 प्रेमीजी)। | ||
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Revision as of 13:02, 14 October 2020
आप एक उच्चकोटि के विद्वान् थे। अनेक ग्रंथों की देश भाषामय टीकाएँ लिखी हैं। यथा - भगवती आराधना, रत्नकरंड श्रा., चर्चासंग्रह, बोधसार, दर्शनसार, अध्यात्म तरंगिनी आदि ग्रंथों की भाषा टीका। समय - वि.1818 (ई.1761); ( भगवती आराधना/ प्र.25 प्रेमीजी)।