शंभु: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) भरतेश और सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 24.36, 25.100 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतेश और सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 24.36, 25.100 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रावण का एक सामंत राजा । इसने राम के पक्ष के विशालद्युति योद्धा को मारा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 57.45-48, 60.19 </span></p> | <p id="2">(2) रावण का एक सामंत राजा । इसने राम के पक्ष के विशालद्युति योद्धा को मारा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 57.45-48, 60.19 </span></p> | ||
<p id="3">(3) मृणालकुंड नगर के राजा वज्रकंबु और उसकी स्त्री हेमवती का पुत्र । यह अपने पुरोहित श्रीभूति की पुत्री वेदवती में आसक्त था । वेदवती को पाने के लिए इसने रात्रि में श्रीभूति को मार डाला था तथा बलात् वेदवती का शील भंग किया था । इसके इस कुकृत्य से रुष्ट होकर वेदवती ने आगामी पर्याय में इसके वध के लिए उत्पन्न होने का निदान किया । उसने आर्यिका होकर तप किया और अंत में देह त्याग कर ब्रह्म स्वर्ग में उत्पन्न हुई । वेदवती के अभाव में यह उन्मत्त हो गया । मुनियों की निंदा करने लगा । पाप के फलस्वरूप नरक और तिर्यंचगति में भटकता रहा । अनेक पर्यायों में भ्रमण करने के पश्चात् रावण हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106.133-157, 175-178 </span></p> | <p id="3">(3) मृणालकुंड नगर के राजा वज्रकंबु और उसकी स्त्री हेमवती का पुत्र । यह अपने पुरोहित श्रीभूति की पुत्री वेदवती में आसक्त था । वेदवती को पाने के लिए इसने रात्रि में श्रीभूति को मार डाला था तथा बलात् वेदवती का शील भंग किया था । इसके इस कुकृत्य से रुष्ट होकर वेदवती ने आगामी पर्याय में इसके वध के लिए उत्पन्न होने का निदान किया । उसने आर्यिका होकर तप किया और अंत में देह त्याग कर ब्रह्म स्वर्ग में उत्पन्न हुई । वेदवती के अभाव में यह उन्मत्त हो गया । मुनियों की निंदा करने लगा । पाप के फलस्वरूप नरक और तिर्यंचगति में भटकता रहा । अनेक पर्यायों में भ्रमण करने के पश्चात् रावण हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106.133-157, 175-178 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
(1) भरतेश और सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 24.36, 25.100
(2) रावण का एक सामंत राजा । इसने राम के पक्ष के विशालद्युति योद्धा को मारा था । पद्मपुराण 57.45-48, 60.19
(3) मृणालकुंड नगर के राजा वज्रकंबु और उसकी स्त्री हेमवती का पुत्र । यह अपने पुरोहित श्रीभूति की पुत्री वेदवती में आसक्त था । वेदवती को पाने के लिए इसने रात्रि में श्रीभूति को मार डाला था तथा बलात् वेदवती का शील भंग किया था । इसके इस कुकृत्य से रुष्ट होकर वेदवती ने आगामी पर्याय में इसके वध के लिए उत्पन्न होने का निदान किया । उसने आर्यिका होकर तप किया और अंत में देह त्याग कर ब्रह्म स्वर्ग में उत्पन्न हुई । वेदवती के अभाव में यह उन्मत्त हो गया । मुनियों की निंदा करने लगा । पाप के फलस्वरूप नरक और तिर्यंचगति में भटकता रहा । अनेक पर्यायों में भ्रमण करने के पश्चात् रावण हुआ । पद्मपुराण 106.133-157, 175-178