बोधपाहुड़ देशभाषामयवचनिका समाप्त: Difference between revisions
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<div class=" | <div>दर्शन अर जिनबिम्ब छठो जिनमुद्रा यतिमा ॥</div> | ||
<div> | <div>ज्ञान सातमूं देव आठमूं नवमूं तीरथ ।</div> | ||
<div> | <div>दसमूं है अरहन्त ग्यारमूं दीक्षा श्रीपथ ॥</div> | ||
<div>दसमूं है | <div>इम परमारथ मुनिरूप सति अन्यभेष सब निन्द्य है ।</div> | ||
<div>इम परमारथ मुनिरूप सति अन्यभेष सब | <div>व्यवहार धातुपाषाणमय आकृति इनिकी वन्द्य है ॥१॥</div> | ||
<div>व्यवहार धातुपाषाणमय आकृति इनिकी | |||
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<div>(दोहा)</div> | <div>(दोहा)</div> | ||
<div>भयो वीर जिनबोध यहु, गौतमगणधर धारि ।</div> | <div>भयो वीर जिनबोध यहु, गौतमगणधर धारि ।</div> | ||
<div>बरतायो | <div>बरतायो पञ्चमगुरु, नमूं तिनहिं मद छारि ॥२॥</div> | ||
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<div class="HindiBhavarth"><div>इति श्रीकुन्दकुन्दस्वामि विरचित बोधपाहुड की जयपुरनिवासि पण्डित जयचन्द्रछाबड़ाकृत देशभाषामयवचनिका समाप्त ॥४॥</div> | <div class="HindiBhavarth"><div>इति श्रीकुन्दकुन्दस्वामि विरचित बोधपाहुड की जयपुरनिवासि पण्डित जयचन्द्रछाबड़ाकृत देशभाषामयवचनिका समाप्त ॥४॥</div> | ||
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Latest revision as of 20:38, 2 November 2013
छप्पय
प्रथम आयतन दुतिय चैत्यगृह तीजी प्रतिमा ।
दर्शन अर जिनबिम्ब छठो जिनमुद्रा यतिमा ॥
ज्ञान सातमूं देव आठमूं नवमूं तीरथ ।
दसमूं है अरहन्त ग्यारमूं दीक्षा श्रीपथ ॥
इम परमारथ मुनिरूप सति अन्यभेष सब निन्द्य है ।
व्यवहार धातुपाषाणमय आकृति इनिकी वन्द्य है ॥१॥
(दोहा)
भयो वीर जिनबोध यहु, गौतमगणधर धारि ।
बरतायो पञ्चमगुरु, नमूं तिनहिं मद छारि ॥२॥
इति श्रीकुन्दकुन्दस्वामि विरचित बोधपाहुड की जयपुरनिवासि पण्डित जयचन्द्रछाबड़ाकृत देशभाषामयवचनिका समाप्त ॥४॥