सत्यक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1">(1) राजा शांतन का पौत्र और राजा शिव का पुत्र । इसके पुत्र का नाम वज्रधर्मा था । इसने कृष्ण और जरासंध के बीच हुए युद्ध में कृष्ण की ओर से युद्ध दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.74, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48. 40-41, 50. 124, 52.14 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) राजा शांतन का पौत्र और राजा शिव का पुत्र । इसके पुत्र का नाम वज्रधर्मा था । इसने कृष्ण और जरासंध के बीच हुए युद्ध में कृष्ण की ओर से युद्ध दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.74, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48. 40-41, 50. 124, 52.14 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रत्नपुर नगर का निवासी एक ब्राह्मण । इसने जंबूद्वीप के मगध देश में अचलग्राम के धरणीजट ब्राह्मण की दासी के पुत्र कपिल के साथ अपनी पुत्री विवाही थी । <span class="GRef"> महापुराण 62.325-329 </span></p> | <p id="2">(2) रत्नपुर नगर का निवासी एक ब्राह्मण । इसने जंबूद्वीप के मगध देश में अचलग्राम के धरणीजट ब्राह्मण की दासी के पुत्र कपिल के साथ अपनी पुत्री विवाही थी । <span class="GRef"> महापुराण 62.325-329 </span></p> | ||
<p id="3">(3) नंदिवर्धन मुनि के संघ के एक मुनि । अभिभूति और वायुभूति ब्राह्मणों ने इनसे शास्त्रार्थ किया था । इसमें ये दोनों पराजित हुए । पराजय होने से क्षुब्ध होकर दोनों ब्राह्मण इन्हें मारने को उद्यत हुए किंतु सुवर्णयक्ष ने उन्हें कील दिया था । उसने जैनधर्म स्वीकार कर लेने पर ही उन्हें मुक्त किया था । <span class="GRef"> महापुराण 72.3-22 </span></p> | <p id="3">(3) नंदिवर्धन मुनि के संघ के एक मुनि । अभिभूति और वायुभूति ब्राह्मणों ने इनसे शास्त्रार्थ किया था । इसमें ये दोनों पराजित हुए । पराजय होने से क्षुब्ध होकर दोनों ब्राह्मण इन्हें मारने को उद्यत हुए किंतु सुवर्णयक्ष ने उन्हें कील दिया था । उसने जैनधर्म स्वीकार कर लेने पर ही उन्हें मुक्त किया था । <span class="GRef"> महापुराण 72.3-22 </span></p> | ||
<p id="4">(4) गांधार देश के महीपुर नगर का राजा । इसने राजा चेटक की ज्येष्ठा पुत्री के लिए प्रस्ताव रखा था, किंतु स्वीकृत न होने से इतने चेटक से युद्ध भी किया था । युद्ध में पराजित हो जाने से लज्जित होकर दमवर मुनि के पास दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 75. 13-14 </span></p> | <p id="4">(4) गांधार देश के महीपुर नगर का राजा । इसने राजा चेटक की ज्येष्ठा पुत्री के लिए प्रस्ताव रखा था, किंतु स्वीकृत न होने से इतने चेटक से युद्ध भी किया था । युद्ध में पराजित हो जाने से लज्जित होकर दमवर मुनि के पास दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 75. 13-14 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:58, 14 November 2020
(1) राजा शांतन का पौत्र और राजा शिव का पुत्र । इसके पुत्र का नाम वज्रधर्मा था । इसने कृष्ण और जरासंध के बीच हुए युद्ध में कृष्ण की ओर से युद्ध दिया था । महापुराण 71.74, हरिवंशपुराण 48. 40-41, 50. 124, 52.14
(2) रत्नपुर नगर का निवासी एक ब्राह्मण । इसने जंबूद्वीप के मगध देश में अचलग्राम के धरणीजट ब्राह्मण की दासी के पुत्र कपिल के साथ अपनी पुत्री विवाही थी । महापुराण 62.325-329
(3) नंदिवर्धन मुनि के संघ के एक मुनि । अभिभूति और वायुभूति ब्राह्मणों ने इनसे शास्त्रार्थ किया था । इसमें ये दोनों पराजित हुए । पराजय होने से क्षुब्ध होकर दोनों ब्राह्मण इन्हें मारने को उद्यत हुए किंतु सुवर्णयक्ष ने उन्हें कील दिया था । उसने जैनधर्म स्वीकार कर लेने पर ही उन्हें मुक्त किया था । महापुराण 72.3-22
(4) गांधार देश के महीपुर नगर का राजा । इसने राजा चेटक की ज्येष्ठा पुत्री के लिए प्रस्ताव रखा था, किंतु स्वीकृत न होने से इतने चेटक से युद्ध भी किया था । युद्ध में पराजित हो जाने से लज्जित होकर दमवर मुनि के पास दीक्षित हो गया था । महापुराण 75. 13-14