सप्तप्रकृति: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) राजा की सात प्रकृतियां । वे हैं― स्वामी, मंत्री, देश, कोष, दंड, गढ और मित्र । <span class="GRef"> महापुराण 68.72 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) राजा की सात प्रकृतियां । वे हैं― स्वामी, मंत्री, देश, कोष, दंड, गढ और मित्र । <span class="GRef"> महापुराण 68.72 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सात प्रकृतियाँ-अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ तथा मिथ्यात्व, सम्यक्मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति । इनके क्षय से क्षायिक और उपशम से औपशमिक सम्यग्दर्शन होता है । <span class="GRef"> महापुराण 62. 317 </span></p> | <p id="2">(2) सात प्रकृतियाँ-अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ तथा मिथ्यात्व, सम्यक्मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति । इनके क्षय से क्षायिक और उपशम से औपशमिक सम्यग्दर्शन होता है । <span class="GRef"> महापुराण 62. 317 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
(1) राजा की सात प्रकृतियां । वे हैं― स्वामी, मंत्री, देश, कोष, दंड, गढ और मित्र । महापुराण 68.72
(2) सात प्रकृतियाँ-अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ तथा मिथ्यात्व, सम्यक्मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति । इनके क्षय से क्षायिक और उपशम से औपशमिक सम्यग्दर्शन होता है । महापुराण 62. 317