सिद्धकूट: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) माल्यवान् पर्वत के नौ कूटों में प्रथम कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 219 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) माल्यवान् पर्वत के नौ कूटों में प्रथम कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 219 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सौमनस्य पर्वत के सात कूटों में प्रथम कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.221 </span></p> | <p id="2">(2) सौमनस्य पर्वत के सात कूटों में प्रथम कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.221 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विद्युत्प्रभ पर्वत के नौ कूटों में प्रथम कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.222 </span></p> | <p id="3">(3) विद्युत्प्रभ पर्वत के नौ कूटों में प्रथम कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.222 </span></p> | ||
<p id="4">(4) महाबल के समय का एक पर्वत-शिखरस्थ जिनचैत्यालय । यहाँ तीर्थंकर आदिनाथ के पूर्वभव के जीव महाबल ने संन्यास धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 5.229, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.83 </span></p> | <p id="4">(4) महाबल के समय का एक पर्वत-शिखरस्थ जिनचैत्यालय । यहाँ तीर्थंकर आदिनाथ के पूर्वभव के जीव महाबल ने संन्यास धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 5.229, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.83 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
(1) माल्यवान् पर्वत के नौ कूटों में प्रथम कूट । हरिवंशपुराण 5. 219
(2) सौमनस्य पर्वत के सात कूटों में प्रथम कूट । हरिवंशपुराण 5.221
(3) विद्युत्प्रभ पर्वत के नौ कूटों में प्रथम कूट । हरिवंशपुराण 5.222
(4) महाबल के समय का एक पर्वत-शिखरस्थ जिनचैत्यालय । यहाँ तीर्थंकर आदिनाथ के पूर्वभव के जीव महाबल ने संन्यास धारण किया था । महापुराण 5.229, हरिवंशपुराण 60.83