सुरगुरु: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) कुंडलपुर नगर के राजा सिंहरथ का पुरोहित । <span class="GRef"> महापुराण 62.178, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.103-104 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) कुंडलपुर नगर के राजा सिंहरथ का पुरोहित । <span class="GRef"> महापुराण 62.178, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.103-104 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक चारणऋद्धिधारी मुनि । इन्होंने एक मरते हुए बंदर को पंचनमस्कार मंत्र सुनाया था जिसके प्रभाव से वह मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नामक देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 70.135-138 </span></p> | <p id="2">(2) एक चारणऋद्धिधारी मुनि । इन्होंने एक मरते हुए बंदर को पंचनमस्कार मंत्र सुनाया था जिसके प्रभाव से वह मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नामक देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 70.135-138 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
(1) कुंडलपुर नगर के राजा सिंहरथ का पुरोहित । महापुराण 62.178, पांडवपुराण 4.103-104
(2) एक चारणऋद्धिधारी मुनि । इन्होंने एक मरते हुए बंदर को पंचनमस्कार मंत्र सुनाया था जिसके प्रभाव से वह मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नामक देव हुआ । महापुराण 70.135-138