सूर्यप्रभ: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) रानी रामदत्ता का जीव, सहस्रार स्वर्ग का एक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.75 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) रानी रामदत्ता का जीव, सहस्रार स्वर्ग का एक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.75 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर महावीर का जीव, सहस्रार स्वर्ग का एक देव । <span class="GRef"> महापुराण 74.241, 251-252, 76.542 </span></p> | <p id="2">(2) तीर्थंकर महावीर का जीव, सहस्रार स्वर्ग का एक देव । <span class="GRef"> महापुराण 74.241, 251-252, 76.542 </span></p> | ||
<p id="3">(3) चक्रवर्ती भरतेश का रत्न-निर्मित एक सत्र । <span class="GRef"> महापुराण 37.156 </span></p> | <p id="3">(3) चक्रवर्ती भरतेश का रत्न-निर्मित एक सत्र । <span class="GRef"> महापुराण 37.156 </span></p> | ||
<p id="4">(4) पुष्करार्ध द्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर एवं राजा । धारिणी इसकी रानी और चिंतागति, मनोगति तथा चपलगति ये तीन पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 70.26-29 </span></p> | <p id="4">(4) पुष्करार्ध द्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर एवं राजा । धारिणी इसकी रानी और चिंतागति, मनोगति तथा चपलगति ये तीन पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 70.26-29 </span></p> | ||
<p id="5">(5) सौधर्म स्वर्ग का देव । यह भरतक्षेत्र के हरिवर्ष देश में भोगपुर नगर के राजा सिंहकेतु और उसकी रानी विद्युन्माला को मारने का विचार करने वाले चित्रांगद देव का मित्र था । इसने चित्रांगद को समझा-बुझाकर इसे और इसकी रानी दोनों को बचाया था । <span class="GRef"> महापुराण 70.74-83, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 7.121-126 </span></p> | <p id="5">(5) सौधर्म स्वर्ग का देव । यह भरतक्षेत्र के हरिवर्ष देश में भोगपुर नगर के राजा सिंहकेतु और उसकी रानी विद्युन्माला को मारने का विचार करने वाले चित्रांगद देव का मित्र था । इसने चित्रांगद को समझा-बुझाकर इसे और इसकी रानी दोनों को बचाया था । <span class="GRef"> महापुराण 70.74-83, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 7.121-126 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
(1) रानी रामदत्ता का जीव, सहस्रार स्वर्ग का एक देव । हरिवंशपुराण 27.75
(2) तीर्थंकर महावीर का जीव, सहस्रार स्वर्ग का एक देव । महापुराण 74.241, 251-252, 76.542
(3) चक्रवर्ती भरतेश का रत्न-निर्मित एक सत्र । महापुराण 37.156
(4) पुष्करार्ध द्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर एवं राजा । धारिणी इसकी रानी और चिंतागति, मनोगति तथा चपलगति ये तीन पुत्र थे । महापुराण 70.26-29
(5) सौधर्म स्वर्ग का देव । यह भरतक्षेत्र के हरिवर्ष देश में भोगपुर नगर के राजा सिंहकेतु और उसकी रानी विद्युन्माला को मारने का विचार करने वाले चित्रांगद देव का मित्र था । इसने चित्रांगद को समझा-बुझाकर इसे और इसकी रानी दोनों को बचाया था । महापुराण 70.74-83, पांडवपुराण 7.121-126