सोमशर्मा: Difference between revisions
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<li>जाति का ब्राह्मण था। जैन मुनि से प्रभावित होकर दीक्षा ग्रहण कर ली। परंतु वर्ण का ठीक उच्चारण न होने से अन्य किसी आचार्य के पास जाकर चार आराधनाओं का आराधन कर स्वर्ग में देव हुआ। (बृ.क.को./कथा नं.2) | <li>जाति का ब्राह्मण था। जैन मुनि से प्रभावित होकर दीक्षा ग्रहण कर ली। परंतु वर्ण का ठीक उच्चारण न होने से अन्य किसी आचार्य के पास जाकर चार आराधनाओं का आराधन कर स्वर्ग में देव हुआ। (बृ.क.को./कथा नं.2) | ||
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<p id="1">(1) पुराणों के अर्थ, वेद तथा व्याकरण के रहस्य को जाननेवाला बनारस का एक ब्राह्मण । सोमिला इसकी पत्नी श्री । इन दोनों की दो पुत्रियाँ थी― भद्रा और सुलषा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21. 131-132 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) पुराणों के अर्थ, वेद तथा व्याकरण के रहस्य को जाननेवाला बनारस का एक ब्राह्मण । सोमिला इसकी पत्नी श्री । इन दोनों की दो पुत्रियाँ थी― भद्रा और सुलषा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21. 131-132 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक ब्राह्मण । इसने अपनी कन्या सोमश्री का विवाह कृष्ण के भाई राजकुमार से करने का निश्चय किया ही था कि गजकुमार विरक्त होकर दीक्षित हो गया । गजकुमार के ऐसा करने से क्रोध में आकर इसने उनके सिर पर अग्नि जलाई थी । इस उपसर्ग को जीतकर गजकुमार मोक्ष गया । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 126, 61. 2-7 </span></p> | <p id="2">(2) एक ब्राह्मण । इसने अपनी कन्या सोमश्री का विवाह कृष्ण के भाई राजकुमार से करने का निश्चय किया ही था कि गजकुमार विरक्त होकर दीक्षित हो गया । गजकुमार के ऐसा करने से क्रोध में आकर इसने उनके सिर पर अग्नि जलाई थी । इस उपसर्ग को जीतकर गजकुमार मोक्ष गया । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 126, 61. 2-7 </span></p> | ||
<p id="3">(3) पद्मिनीखेट नगर का एक बाह्मण । हिरण्यलोमा इसकी पत्नी तथा चंद्रानना पुत्री थी । <span class="GRef"> पांडवपुराण 4.107-108 </span></p> | <p id="3">(3) पद्मिनीखेट नगर का एक बाह्मण । हिरण्यलोमा इसकी पत्नी तथा चंद्रानना पुत्री थी । <span class="GRef"> पांडवपुराण 4.107-108 </span></p> | ||
<p id="4">(4) कुरुदेश के पलाशकूट का निवासी एक दरिद्र ब्राह्मण । इसका पुत्र नंदि था । <span class="GRef"> महापुराण 70.200-201 </span></p> | <p id="4">(4) कुरुदेश के पलाशकूट का निवासी एक दरिद्र ब्राह्मण । इसका पुत्र नंदि था । <span class="GRef"> महापुराण 70.200-201 </span></p> | ||
<p id="1">(1) मगधदेश की वत्सा नगरी के निवासी शिवभूति ब्राह्मण का ससुर । इसकी पुत्री सोमिला थी । <span class="GRef"> महापुराण 75. 70-73 </span></p> | <p id="1">(1) मगधदेश की वत्सा नगरी के निवासी शिवभूति ब्राह्मण का ससुर । इसकी पुत्री सोमिला थी । <span class="GRef"> महापुराण 75. 70-73 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- जाति का ब्राह्मण था। जैन मुनि से प्रभावित होकर दीक्षा ग्रहण कर ली। परंतु वर्ण का ठीक उच्चारण न होने से अन्य किसी आचार्य के पास जाकर चार आराधनाओं का आराधन कर स्वर्ग में देव हुआ। (बृ.क.को./कथा नं.2)
- पुष्पा भजल का पुत्र था। मित्र मुनि वारिषेण को आहार दान के पीछे उनको संघ में पहुँचाने गया। वहाँ अनिच्छक वृत्ति से दीक्षा धारण कर ली। बहुत समय पश्चात् वारिषेण मुनि ने इनको पदविचलित जानकर अपनी शृंगारित 100 रानियों को दिखाकर इसका स्थितिकरण किया। (बृ.क.को./कथा 10)।
- विष्णुशर्मा द्वारा व्यापारार्थ प्रदत्त धन को डाकुओं द्वारा लूट लिया जाने पर दीक्षा ग्रहण कर ली। विष्णुशर्मा के धन के लिए जिद करने पर तप के प्रभाव से उसका धन चुका दिया। तब विष्णुदत्त भी दीक्षित हो गया (बृ.क.को./कथा 16)।
पुराणकोष से
(1) पुराणों के अर्थ, वेद तथा व्याकरण के रहस्य को जाननेवाला बनारस का एक ब्राह्मण । सोमिला इसकी पत्नी श्री । इन दोनों की दो पुत्रियाँ थी― भद्रा और सुलषा । हरिवंशपुराण 21. 131-132
(2) एक ब्राह्मण । इसने अपनी कन्या सोमश्री का विवाह कृष्ण के भाई राजकुमार से करने का निश्चय किया ही था कि गजकुमार विरक्त होकर दीक्षित हो गया । गजकुमार के ऐसा करने से क्रोध में आकर इसने उनके सिर पर अग्नि जलाई थी । इस उपसर्ग को जीतकर गजकुमार मोक्ष गया । हरिवंशपुराण 60. 126, 61. 2-7
(3) पद्मिनीखेट नगर का एक बाह्मण । हिरण्यलोमा इसकी पत्नी तथा चंद्रानना पुत्री थी । पांडवपुराण 4.107-108
(4) कुरुदेश के पलाशकूट का निवासी एक दरिद्र ब्राह्मण । इसका पुत्र नंदि था । महापुराण 70.200-201
(1) मगधदेश की वत्सा नगरी के निवासी शिवभूति ब्राह्मण का ससुर । इसकी पुत्री सोमिला थी । महापुराण 75. 70-73