स्वाद्य: Difference between revisions
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मू.आ./644<span class="PrakritText">सादंति सादियं भणियं।644।</span>=<span class="HindiText">जिससे मुख का स्वाद किया जाये, इलायची आदि स्वाद्य कहा है।</span> | मू.आ./644<span class="PrakritText">सादंति सादियं भणियं।644।</span>=<span class="HindiText">जिससे मुख का स्वाद किया जाये, इलायची आदि स्वाद्य कहा है।</span> | ||
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<span class="GRef"> अनगारधर्मामृत/7/13 </span><span class="SanskritText">स्वाद्यं तांबूलादि।</span> =<span class="HindiText">पान, सुपारी, इलायची आदि तथा अनार, संतरा, ककड़ी आदि भक्ष्य पदार्थ स्वाद्य हैं।</span></p> | |||
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ला.सं/2/16 <span class="SanskritText">स्वाद्यं तु भोगार्थ तांबूलादि यथागमात् ...।16।</span> =<span class="HindiText">भोगों के लिए आगमानुकूल तांबूल आदि पदार्थ स्वाद्य कहलाते हैं।</span></p> | ला.सं/2/16 <span class="SanskritText">स्वाद्यं तु भोगार्थ तांबूलादि यथागमात् ...।16।</span> =<span class="HindiText">भोगों के लिए आगमानुकूल तांबूल आदि पदार्थ स्वाद्य कहलाते हैं।</span></p> |
Revision as of 13:03, 14 October 2020
मू.आ./644सादंति सादियं भणियं।644।=जिससे मुख का स्वाद किया जाये, इलायची आदि स्वाद्य कहा है।
अनगारधर्मामृत/7/13 स्वाद्यं तांबूलादि। =पान, सुपारी, इलायची आदि तथा अनार, संतरा, ककड़ी आदि भक्ष्य पदार्थ स्वाद्य हैं।
ला.सं/2/16 स्वाद्यं तु भोगार्थ तांबूलादि यथागमात् ...।16। =भोगों के लिए आगमानुकूल तांबूल आदि पदार्थ स्वाद्य कहलाते हैं।