हरिकेतु: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के कांपिल्य नगर का राजा । यह दसवें चक्रवर्ती हरिषेण का पिता था । इसकी रानी वप्रा थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 185-186 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के कांपिल्य नगर का राजा । यह दसवें चक्रवर्ती हरिषेण का पिता था । इसकी रानी वप्रा थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 185-186 </span></p> | ||
<p id="2">(2) शिवंकरपुर नगर के राजा अनिलवेग और रानी कांतवती का पुत्र । भोगवती का यह भाई था । इसके प्रयत्न से श्रीपाल को सर्वव्याधिविनाशिनी विद्या प्राप्त हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 47. 49-50 60-62 </span></p> | <p id="2">(2) शिवंकरपुर नगर के राजा अनिलवेग और रानी कांतवती का पुत्र । भोगवती का यह भाई था । इसके प्रयत्न से श्रीपाल को सर्वव्याधिविनाशिनी विद्या प्राप्त हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 47. 49-50 60-62 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
(1) भरतक्षेत्र के कांपिल्य नगर का राजा । यह दसवें चक्रवर्ती हरिषेण का पिता था । इसकी रानी वप्रा थी । पद्मपुराण 20. 185-186
(2) शिवंकरपुर नगर के राजा अनिलवेग और रानी कांतवती का पुत्र । भोगवती का यह भाई था । इसके प्रयत्न से श्रीपाल को सर्वव्याधिविनाशिनी विद्या प्राप्त हुई थी । महापुराण 47. 49-50 60-62