कूट: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<p><span class="GRef"> धवला 13/5,3,29/34/8 </span><span class="PrakritText">कागुंदुरादिधरणट्ठमोद्दिदं कूडं णाम।</span>=<span class="HindiText">चूहा आदि के धरने के लिए जो बनाया जाता है उसे कूट कहते हैं। </span><br> | <p><span class="GRef"> धवला 13/5,3,29/34/8 </span><span class="PrakritText">कागुंदुरादिधरणट्ठमोद्दिदं कूडं णाम।</span>=<span class="HindiText">चूहा आदि के धरने के लिए जो बनाया जाता है उसे कूट कहते हैं। </span><br> | ||
<span class="GRef"> धवला/4/5,6,641/495/5 </span><span class="PrakritText">मेरु-कुलसेल-विंझ-सज्झादिपव्वया कूडाणि णाम।</span>=<span class="HindiText">मेरुपर्वत, कुलपर्वत, विंध्यपर्वत, और सह्यपर्वत आदि कूट कहलाते हैं।</span></p> | <span class="GRef"> धवला/4/5,6,641/495/5 </span><span class="PrakritText">मेरु-कुलसेल-विंझ-सज्झादिपव्वया कूडाणि णाम।</span>=<span class="HindiText">मेरुपर्वत, कुलपर्वत, विंध्यपर्वत, और सह्यपर्वत आदि कूट कहलाते हैं।</span></p> | ||
Line 20: | Line 21: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) भरत चक्रवर्ती के सेनापति द्वारा विजित मध्य आर्यखंड का एक देश । <span class="GRef"> महापुराण 29.80 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरत चक्रवर्ती के सेनापति द्वारा विजित मध्य आर्यखंड का एक देश । <span class="GRef"> महापुराण 29.80 </span></p> | ||
<p id="2">(2) काशी निवासी संभ्रमदेव की दासी का ज्येष्ठ पुत्र, कर्पाटक का सहोदर । ये दोनों भाई मरकर जिन-मंदिर में कार्य करने से उत्पन्न पुण्य के प्रभाव से व्यंतर देव हुए थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.122-123 </span></p> | <p id="2">(2) काशी निवासी संभ्रमदेव की दासी का ज्येष्ठ पुत्र, कर्पाटक का सहोदर । ये दोनों भाई मरकर जिन-मंदिर में कार्य करने से उत्पन्न पुण्य के प्रभाव से व्यंतर देव हुए थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.122-123 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
धवला 13/5,3,29/34/8 कागुंदुरादिधरणट्ठमोद्दिदं कूडं णाम।=चूहा आदि के धरने के लिए जो बनाया जाता है उसे कूट कहते हैं।
धवला/4/5,6,641/495/5 मेरु-कुलसेल-विंझ-सज्झादिपव्वया कूडाणि णाम।=मेरुपर्वत, कुलपर्वत, विंध्यपर्वत, और सह्यपर्वत आदि कूट कहलाते हैं।
- पर्वत पर स्थित चोटियों को कूट कहते हैं।
- मध्य आर्य खंड का एक देश–देखें मनुष्य - 4।
- विभिन्न पर्वतों पर कूटों का अवस्थान व नाम आदि–देखें लोक - 5।
पुराणकोष से
(1) भरत चक्रवर्ती के सेनापति द्वारा विजित मध्य आर्यखंड का एक देश । महापुराण 29.80
(2) काशी निवासी संभ्रमदेव की दासी का ज्येष्ठ पुत्र, कर्पाटक का सहोदर । ये दोनों भाई मरकर जिन-मंदिर में कार्य करने से उत्पन्न पुण्य के प्रभाव से व्यंतर देव हुए थे । पद्मपुराण 5.122-123