मंत्री: Difference between revisions
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<span class="GRef"> त्रिलोकसार/683/ </span>भाषा टीका–मंत्री कहिए पंचांग मंत्र विषै प्रवीण। | <span class="GRef"> त्रिलोकसार/683/ </span>भाषा टीका–मंत्री कहिए पंचांग मंत्र विषै प्रवीण। | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) राजा का उसके कार्यों में मंत्रणा दाता । इसके दो कार्य होते हैं― हितकारी कार्य में राजा की प्रवृत्ति करना तथा अहितकारी कार्यों को नहीं करने का परामर्श देना । <span class="GRef"> महापुराण 68.115 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) राजा का उसके कार्यों में मंत्रणा दाता । इसके दो कार्य होते हैं― हितकारी कार्य में राजा की प्रवृत्ति करना तथा अहितकारी कार्यों को नहीं करने का परामर्श देना । <span class="GRef"> महापुराण 68.115 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सौधर्मेंद्र हारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 121 </span></p> | <p id="2">(2) सौधर्मेंद्र हारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 121 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
त्रिलोकसार/683/ भाषा टीका–मंत्री कहिए पंचांग मंत्र विषै प्रवीण।
पुराणकोष से
(1) राजा का उसके कार्यों में मंत्रणा दाता । इसके दो कार्य होते हैं― हितकारी कार्य में राजा की प्रवृत्ति करना तथा अहितकारी कार्यों को नहीं करने का परामर्श देना । महापुराण 68.115
(2) सौधर्मेंद्र हारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 121