वर्द्धमान: Difference between revisions
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<p id="2">(2) रुचकवर पर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट । यहाँ अंजन गिरि का दिग्गजेंद्र देव रहता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.703, </span>देखें [[ रुचकवर ]]</p> | <p id="2">(2) रुचकवर पर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट । यहाँ अंजन गिरि का दिग्गजेंद्र देव रहता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.703, </span>देखें [[ रुचकवर ]]</p> | ||
<p id="3">(3) नृत्य का एक भेद । <span class="GRef"> महापुराण 14.133 </span></p> | <p id="3">(3) नृत्य का एक भेद । <span class="GRef"> महापुराण 14.133 </span></p> | ||
<p id="4">(4) कीर्ति तथा गुणों से वर्द्धमान होने के कारण इंद्र द्वारा प्रदत्त तीर्थंकर महावीर का एक नाम । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 4, </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | <p id="4">(4) कीर्ति तथा गुणों से वर्द्धमान होने के कारण इंद्र द्वारा प्रदत्त तीर्थंकर महावीर का एक नाम । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 4, </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/1/3/16 अब समंतादृद्धं ‘वृद्धं’ मानं प्रमाणं ज्ञानं यस्य स भवित वर्द्धमानः । = ‘अव’ अर्थात् समंतात्, ॠृद्धम् अर्थात् वृद्ध, मान अर्थात् प्रमाण या ज्ञान । अर्थात् हर प्रकार से वृद्ध ज्ञान जिसके होता है ऐसे भगवान् वर्द्धमान हैं ।
- भगवान् महावीर का अपरनाम भी वर्द्धमान है - देखें महावीर ।
- रुचक पर्वत का एक कूट है - देखें लोक - 5.13;
- अवधिज्ञान का एक भेद । - देखें अवधिज्ञान - 1 ।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.145
(2) रुचकवर पर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट । यहाँ अंजन गिरि का दिग्गजेंद्र देव रहता है । हरिवंशपुराण 5.703, देखें रुचकवर
(3) नृत्य का एक भेद । महापुराण 14.133
(4) कीर्ति तथा गुणों से वर्द्धमान होने के कारण इंद्र द्वारा प्रदत्त तीर्थंकर महावीर का एक नाम । वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 4, देखें महावीर