ज्ञानसागर: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
< | <p class="HindiText">काष्ठा संघ नन्दितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिन्दी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र.मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.१७ (ई.श.१७ पूर्व)। (ती./३/४४२), (हिन्दी जैन साहित्य इतिहास/३७/डा.कामता प्रसाद)।</p> | ||
</ | |||
<p><table class="NextPrevLinkTableFormat"><tr> | <p><table class="NextPrevLinkTableFormat"><tr> | ||
<td class="NextRowFormat">[[ | <td class="NextRowFormat">[[ज्ञानसमय | Previous Page]]</td> | ||
<td class="NextRowFormat" style="text-align: right">[[ | <td class="NextRowFormat" style="text-align: right">[[ज्ञानसागर | Next Page]]</td> | ||
</tr></table></p> | </tr></table></p> | ||
[[Category:ज]] | [[Category:ज]] |
Revision as of 12:56, 14 March 2013
काष्ठा संघ नन्दितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिन्दी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र.मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.१७ (ई.श.१७ पूर्व)। (ती./३/४४२), (हिन्दी जैन साहित्य इतिहास/३७/डा.कामता प्रसाद)।
Previous Page | Next Page |