शंबूक: Difference between revisions
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<span class="GRef"> पद्मपुराण/43/ </span>श्लोक–रावण की बहन चंद्रनखा का पुत्र था। सूर्यहास खड्ग को सिद्ध करने के लिए 12 वर्ष का योग वंशस्थल पर्वत पर धारण किया (45-47) वनवासी लक्ष्मण ने खड्ग की गंध से आश्चर्यान्वित हो, खड्ग की परख के अर्थ शंबूक सहित वंश के बीड़े को काट दिया (49-55) यह मरकर नरक में गया। | <span class="GRef"> पद्मपुराण/43/ </span>श्लोक–रावण की बहन चंद्रनखा का पुत्र था। सूर्यहास खड्ग को सिद्ध करने के लिए 12 वर्ष का योग वंशस्थल पर्वत पर धारण किया (45-47) वनवासी लक्ष्मण ने खड्ग की गंध से आश्चर्यान्वित हो, खड्ग की परख के अर्थ शंबूक सहित वंश के बीड़े को काट दिया (49-55) यह मरकर नरक में गया। | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> अलंकारपुर नगर के राजा खरदूषण तथा रावण की बहिन दुर्नखा का ज्येष्ठ पुत्र । यह सुंद का बड़ा भाई था । इसने सूर्यहासखड्ग की प्राप्ति हेतु दंडक वन में क्रौंचरवा नदी और समुद्र के उत्तर तट पर एक वंश की झाड़ी में एकासन करते हुए ब्रह्मचर्य पूर्वक बारह वर्ष पर्यंत साधना की थी । फलस्वरूप एक खड्ग प्रकट हुआ था । वह सात दिन बाद ग्राह्य होने से यह वही स्थिर रहा । इसी बीच लक्ष्मण इस वन में आये और खड्ग से उत्पन्न सुगंध का अनुसरण करते हुए वंश की झाड़ी के निकट पहुंचे । लक्ष्मण को खड्ग दिखाई दिया । सहज भाव से खड्ग लेकर लक्ष्मण ने खुदा की परीक्षा के लिए उस वंश झाड़ी को काट डाला । झाड़ी के कटते ही यह भी निष्प्राण हो गया और मरकर असुरकुमार देव हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 43. 41-61, 73, 123. 4 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> अलंकारपुर नगर के राजा खरदूषण तथा रावण की बहिन दुर्नखा का ज्येष्ठ पुत्र । यह सुंद का बड़ा भाई था । इसने सूर्यहासखड्ग की प्राप्ति हेतु दंडक वन में क्रौंचरवा नदी और समुद्र के उत्तर तट पर एक वंश की झाड़ी में एकासन करते हुए ब्रह्मचर्य पूर्वक बारह वर्ष पर्यंत साधना की थी । फलस्वरूप एक खड्ग प्रकट हुआ था । वह सात दिन बाद ग्राह्य होने से यह वही स्थिर रहा । इसी बीच लक्ष्मण इस वन में आये और खड्ग से उत्पन्न सुगंध का अनुसरण करते हुए वंश की झाड़ी के निकट पहुंचे । लक्ष्मण को खड्ग दिखाई दिया । सहज भाव से खड्ग लेकर लक्ष्मण ने खुदा की परीक्षा के लिए उस वंश झाड़ी को काट डाला । झाड़ी के कटते ही यह भी निष्प्राण हो गया और मरकर असुरकुमार देव हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 43. 41-61, 73, 123. 4 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/43/ श्लोक–रावण की बहन चंद्रनखा का पुत्र था। सूर्यहास खड्ग को सिद्ध करने के लिए 12 वर्ष का योग वंशस्थल पर्वत पर धारण किया (45-47) वनवासी लक्ष्मण ने खड्ग की गंध से आश्चर्यान्वित हो, खड्ग की परख के अर्थ शंबूक सहित वंश के बीड़े को काट दिया (49-55) यह मरकर नरक में गया।
पुराणकोष से
अलंकारपुर नगर के राजा खरदूषण तथा रावण की बहिन दुर्नखा का ज्येष्ठ पुत्र । यह सुंद का बड़ा भाई था । इसने सूर्यहासखड्ग की प्राप्ति हेतु दंडक वन में क्रौंचरवा नदी और समुद्र के उत्तर तट पर एक वंश की झाड़ी में एकासन करते हुए ब्रह्मचर्य पूर्वक बारह वर्ष पर्यंत साधना की थी । फलस्वरूप एक खड्ग प्रकट हुआ था । वह सात दिन बाद ग्राह्य होने से यह वही स्थिर रहा । इसी बीच लक्ष्मण इस वन में आये और खड्ग से उत्पन्न सुगंध का अनुसरण करते हुए वंश की झाड़ी के निकट पहुंचे । लक्ष्मण को खड्ग दिखाई दिया । सहज भाव से खड्ग लेकर लक्ष्मण ने खुदा की परीक्षा के लिए उस वंश झाड़ी को काट डाला । झाड़ी के कटते ही यह भी निष्प्राण हो गया और मरकर असुरकुमार देव हुआ । पद्मपुराण 43. 41-61, 73, 123. 4