अध:प्रवृत्तिकरण: Difference between revisions
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Revision as of 06:19, 17 October 2022
एक पारिणामिक प्रवृत्ति-अध-स्तन समयवर्ती परिणामों का उपरितन समयवर्ती परिणामों के साथ कदाचित् समानता रखना अर्थात् प्रथम क्षण में हुए परिणामों का दूसरे क्षण में होना तथा दूसरे क्षण में पूर्व परिणामों से भिन्न और परिणामों का होना । यही क्रम आगे भी चलता रहता है । ऐसे परिणमन अप्रमत्तसंयत नाम के सातवें गुणस्थान में होते हैं । महापुराण 20.243, 250-252