अशनिघोष: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 22:16, 29 March 2023
(1) सल्लकी वन का हाथी । मुनि द्वारा संबोधे जाने पर इसने अणुव्रत धारण किये थे । पूर्व बैरी सर्प के डसने से यह मरकर देव हुआ था । महापुराण 59.197,212-218
(2) जीवंधर द्वारा वश किया गया काष्ठांगार का हाथी । महापुराण 75-366-339
(3) चमरचंचपुर नगर में उत्पन्न, राजा इंद्राशनि और उसकी रानी आसुरी का पुत्र । भ्रामरी विद्या सिद्ध करके इसने सुतारा का अपहरण किया था । इसके तीन पुत्र थे― सुधोष, शतघोष और सहस्रघोष । यह युद्ध में अपना रूप द्विगुण कर लेता था । महापुराण 62.229-234, 276, पद्मपुराण 73.63, पांडवपुराण 4.13, 8-150, 182-191
(4) मानुषोत्तर के अंजनकूट का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण 5.604