अश्वकर्णक्रिया: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> चारित्र मोह की क्षपणा विधि । इसमें चारों कषायों की क्षीणता होती जाती है । इस क्रिया की विधि को वृषभदेव ने अनिवृत्तिकरण नाम के नवें गुणस्थान में ही पूर्ण किया । <span class="GRef"> महापुराण 20.259 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> चारित्र मोह की क्षपणा विधि । इसमें चारों कषायों की क्षीणता होती जाती है । इस क्रिया की विधि को वृषभदेव ने अनिवृत्तिकरण नाम के नवें गुणस्थान में ही पूर्ण किया । <span class="GRef"> (महापुराण 20.259) </span></p> | ||
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Revision as of 18:34, 30 June 2023
चारित्र मोह की क्षपणा विधि । इसमें चारों कषायों की क्षीणता होती जाती है । इस क्रिया की विधि को वृषभदेव ने अनिवृत्तिकरण नाम के नवें गुणस्थान में ही पूर्ण किया । (महापुराण 20.259)