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Revision as of 01:32, 17 July 2023
चक्रवर्ती भरतेश को प्राप्त चौदह रत्नों में एक अजीव रत्न । इस रत्न का रावण और इंद्र विद्याधर ने भी प्रयोग किया था । इसका प्रयोग मध्ययुग में बहुत होता था । महापुराण 5. 250, 38. 83-85, 44. 180 पद्मपुराण 12. 257