गंधमादन: Difference between revisions
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<p id="4">(4) मेरु पर्वत की पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित एक स्वर्णमय गजदंत पर्वत । यह नील और निषध पर्वत के समीप चार सौ तथा मेरु पर्वत के समीप पाँच सौ योजन ऊँचा है, गहराई ऊँचाई से चौथाई है, देवकुरु और उत्तरकुरु के समीप इसकी | <p id="4">(4) मेरु पर्वत की पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित एक स्वर्णमय गजदंत पर्वत । यह नील और निषध पर्वत के समीप चार सौ तथा मेरु पर्वत के समीप पाँच सौ योजन ऊँचा है, गहराई ऊँचाई से चौथाई है, देवकुरु और उत्तरकुरु के समीप इसकी चौड़ाई पांच सौ योजन है । इस पर्वत से गंधवती नदी निकली है । <span class="GRef"> महापुराण 63-204 71.309, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.210-218 </span>मुनि विमलावाहन और विदेहक्षेत्रस्थ सुपद्मा देश के सिंहपुर नगर के राजा अर्हद्दास यहीं से मोक्ष गये थे । यह सुप्रतिष्ठ मुनिराज की कैवल्यभूमि थी । <span class="GRef"> महापुराण 70,18-19 124, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.29 </span>-31, 34.10 </span></p> | ||
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Revision as of 16:03, 23 September 2022
सिद्धांतकोष से
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी में एक नगर–देखें विद्याधर ।
- एक गजदंत पर्वत देखें लोक - 5.3
- गंधमादन पर्वतस्थ एक कूट व उसका रक्षक देव–देखें लोक - 5.4
- अंधकवृष्टि के पुत्र हिमवान् का पुत्र नेमिनाथ भगवान् का चचेरा भाई–देखें इतिहास - 10.10।
- हालार और बरड़ों प्रांत के बीच की पर्वत श्रेणी को ‘बरड़ों’ कहते हैं। संभवत: इसी श्रेणी के किसी पर्वत का नाम गंधमादन है।
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध-पर्वत की उत्तरश्रेणी के साठ नगरों में पचासवां नगर । हरिवंशपुराण 22.90
(2) राजा जरासंध का एक पुत्र । हरिवंशपुराण 52.31
(3) राजा हिमवान् का सबसे छोटा पुत्र । हरिवंशपुराण 48-47
(4) मेरु पर्वत की पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित एक स्वर्णमय गजदंत पर्वत । यह नील और निषध पर्वत के समीप चार सौ तथा मेरु पर्वत के समीप पाँच सौ योजन ऊँचा है, गहराई ऊँचाई से चौथाई है, देवकुरु और उत्तरकुरु के समीप इसकी चौड़ाई पांच सौ योजन है । इस पर्वत से गंधवती नदी निकली है । महापुराण 63-204 71.309, हरिवंशपुराण 5.210-218 मुनि विमलावाहन और विदेहक्षेत्रस्थ सुपद्मा देश के सिंहपुर नगर के राजा अर्हद्दास यहीं से मोक्ष गये थे । यह सुप्रतिष्ठ मुनिराज की कैवल्यभूमि थी । महापुराण 70,18-19 124, हरिवंशपुराण 18.29 -31, 34.10
(5) शौर्यपुर के उद्यान में स्थित पर्वत । हरिवंशपुराण 18.29
(6) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.31