जांबद: Difference between revisions
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<p id="2">(2) एक विद्याधर । यह शिवचंद्रा का पति तथा उससे उत्पन्न राजकुमार विश्वसेन और राजकुमारी जांबवती का पिता था । इसने अपनी सुंदर पुत्री जांबवती का हरण करने वाले कृष्ण के सेनापति अनावृष्टि के साथ युद्ध किया था । अनावृष्टि ने उसे बाँधकर कृष्ण को दिखाया था । इस दुर्घटना से इसे वैराग्य हो गया । इसने अपने पुत्र विश्वसेन को कृष्ण के आधीन करके तपस्या के लिए वन का आश्रय लिया । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.4-17,60.53 </span></p> | <p id="2">(2) एक विद्याधर । यह शिवचंद्रा का पति तथा उससे उत्पन्न राजकुमार विश्वसेन और राजकुमारी जांबवती का पिता था । इसने अपनी सुंदर पुत्री जांबवती का हरण करने वाले कृष्ण के सेनापति अनावृष्टि के साथ युद्ध किया था । अनावृष्टि ने उसे बाँधकर कृष्ण को दिखाया था । इस दुर्घटना से इसे वैराग्य हो गया । इसने अपने पुत्र विश्वसेन को कृष्ण के आधीन करके तपस्या के लिए वन का आश्रय लिया । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.4-17,60.53 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का एक पर्वत । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.7 </span></p> | <p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का एक पर्वत । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.7 </span></p> | ||
<p id="4">(4) वानरवंशी एक विद्याधर । इसकी ध्वजा मे महावृक्ष का चिह्न था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 54.58 </span></p> | <p id="4">(4) वानरवंशी एक विद्याधर । इसकी ध्वजा मे महावृक्ष का चिह्न था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_54#58|पद्मपुराण - 54.58]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:21, 17 November 2023
(1) जंबूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । इस नगर की स्थिति विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी में है । अपरनाम जंबूपुर । महापुराण 71.368, हरिवंशपुराण 44.4,60.52
(2) एक विद्याधर । यह शिवचंद्रा का पति तथा उससे उत्पन्न राजकुमार विश्वसेन और राजकुमारी जांबवती का पिता था । इसने अपनी सुंदर पुत्री जांबवती का हरण करने वाले कृष्ण के सेनापति अनावृष्टि के साथ युद्ध किया था । अनावृष्टि ने उसे बाँधकर कृष्ण को दिखाया था । इस दुर्घटना से इसे वैराग्य हो गया । इसने अपने पुत्र विश्वसेन को कृष्ण के आधीन करके तपस्या के लिए वन का आश्रय लिया । हरिवंशपुराण 44.4-17,60.53
(3) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का एक पर्वत । हरिवंशपुराण 44.7
(4) वानरवंशी एक विद्याधर । इसकी ध्वजा मे महावृक्ष का चिह्न था । पद्मपुराण - 54.58