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Revision as of 19:19, 18 November 2022
सिद्धांतकोष से
गर्भान्वय की 53 क्रियाओं में से एक क्रिया इसमें गर्भाधान के पश्चात् तीसरे महीने, पूर्ववत् भगवान् की पूजा करनी चाहिए। उस दिन से लेकर प्रतिदिन बाजे, नगाड़े आदि बजवाने चाहिए। अन्य क्रियाओं की जानकारी के लिए देखें संस्कार - 2.2।
पुराणकोष से
गृहस्थ की गर्भान्वयी त्रेपन क्रियाओं में द्वितीय क्रिया । इसके अंतर्गत गर्भाधान के तीसरे मास में जिनेंद्र की पूजा की जाती है, तोरण बाँधे जाते हैं, दो पूर्ण कलश रखे जाते हैं तथा प्रतिदिन वाद्य-ध्वनि पूर्वक उल्लास प्रकट किया जाता है । महापुराण 38.77-79,