ब्रह्मसूत्र: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: ब]] | [[Category: ब]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Revision as of 13:25, 13 November 2022
स्कंध भाग से घुटनों तक प्रलंबित सूत्र । यह एक से लेकर ग्यारह सूत्रों का होता है । इसे यज्ञोपवीत कहते हैं । व्रती इसी से पहचाने जाते हैं । ब्रह्मचारी सप्त परम स्थानों के सूचक सात धागों से निर्मित यज्ञोपवीत धारण करते हैं । महापुराण 3.27, 15.198, 26. 73, 38.21-23, 106, 112