भद्रा: Difference between revisions
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<p id="2">(2) समवसरण की चार वापियों में दूसरी वापी । इसका जल समस्त रोगों को हरने वाला है । इसमें देखने वाले जीवों को अपने आगे-पीछे के सात भव दिखते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.73-74 </span></p> | <p id="2">(2) समवसरण की चार वापियों में दूसरी वापी । इसका जल समस्त रोगों को हरने वाला है । इसमें देखने वाले जीवों को अपने आगे-पीछे के सात भव दिखते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.73-74 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजा अंधकवृष्टि की महारानी । इसके समुद्रविजय आदि दस पुत्र थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.132-134 </span></p> | <p id="3">(3) राजा अंधकवृष्टि की महारानी । इसके समुद्रविजय आदि दस पुत्र थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.132-134 </span></p> | ||
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Revision as of 15:19, 14 September 2022
सिद्धांतकोष से
- वर्तमान ‘भादर’ नदी। जसदण के पास के पर्वत से निकली है और नवी बंदर से आगे अरब सागर में गिरती है। (नेमिचरित प्रस्तावना/प्रेमी जी),
- रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी- देखें लोक - 5.13)।
पुराणकोष से
(1) विद्याधर विनमि की पुत्री । यह भरत चक्रवर्ती की रानी सुभद्रा की बड़ी बहिन थी । हरिवंशपुराण 22.106
(2) समवसरण की चार वापियों में दूसरी वापी । इसका जल समस्त रोगों को हरने वाला है । इसमें देखने वाले जीवों को अपने आगे-पीछे के सात भव दिखते हैं । हरिवंशपुराण 57.73-74
(3) राजा अंधकवृष्टि की महारानी । इसके समुद्रविजय आदि दस पुत्र थे । पांडवपुराण 7.132-134
(4) रावण की एक रानी । पद्मपुराण 77.13
(5) दशरथ की पुत्र-वधू । पद्मपुराण 83.94
(6) साकेत नगरी के राजा सुमित्र की रानी । यह चक्रवर्ती मघवा की जननी थी । महापुराण 61.91-93
(7) वत्स देश में कौशांबी नगर के सेठ वृषभसेन की स्त्री । इसने चरन को अनेक प्रकार से सताया था । महापुराण 75. 52-58, 66
(8) पोदनपुर के राजा प्रजापति की दूसरी रानी । यह बलभद्र विजय की जननी थी । महापुराण 62.91-92