मुनिधर्म: Difference between revisions
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Revision as of 14:52, 14 June 2023
पंच महाव्रत, पंच समिति और त्रिगुप्तियों का धारण करना, परीषहों को सहना, अट्ठाईस मूलगुणों का पालन करना, सप्त भयों से रहित होना, शं का आदि सम्यग्दर्शन के आठ दोषों से दूर रहना और चारित्र धर्म तथा अनुप्रेक्षा से युक्त होना मुनिधर्म है । पद्मपुराण 9.219, 20. 149, 151, 37.165, 106.113-114 दे मुनि