मोदक्रिया: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> उपासक की त्रेपन क्रियाओं में पाँचवी किया । यह गर्भ-पुष्टि के लिए नौवें मास में की जाती है । इसमें गर्भिणी के शरीर पर मात्रिकाबंध (बीजाक्षर) लिखा जाता है । उसे मंगलमय आभूषण आदि पहनाये जाते हैं तथा रक्षा के लिए कंकणसूत्र बाँधा जाता है । इस क्रिया में निम्न मंत्र | <div class="HindiText"> <p> उपासक की त्रेपन क्रियाओं में पाँचवी किया । यह गर्भ-पुष्टि के लिए नौवें मास में की जाती है । इसमें गर्भिणी के शरीर पर मात्रिकाबंध (बीजाक्षर) लिखा जाता है । उसे मंगलमय आभूषण आदि पहनाये जाते हैं तथा रक्षा के लिए कंकणसूत्र बाँधा जाता है । इस क्रिया में निम्न मंत्र पढ़े जाते हैं― सज्जाति-कल्याणभागी भव, सद्गृहितकल्याणभागी भव, वैवाहककल्याणभागी भव, मुनींद्रकल्याणभागी भव, सुरेंद्रकल्याणभागी भव, मंदराभिषेक कल्याणभागी भव, यौवराज्यकल्याणभागी भव, महाराजकल्याणभागी भव, परमराज्यकल्याणभागी भव और अर्हंत्यकल्याणमागी भव । <span class="GRef"> महापुराण 38. 55, 83-84, 40.103-107 </span></p> | ||
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Revision as of 15:12, 6 December 2022
उपासक की त्रेपन क्रियाओं में पाँचवी किया । यह गर्भ-पुष्टि के लिए नौवें मास में की जाती है । इसमें गर्भिणी के शरीर पर मात्रिकाबंध (बीजाक्षर) लिखा जाता है । उसे मंगलमय आभूषण आदि पहनाये जाते हैं तथा रक्षा के लिए कंकणसूत्र बाँधा जाता है । इस क्रिया में निम्न मंत्र पढ़े जाते हैं― सज्जाति-कल्याणभागी भव, सद्गृहितकल्याणभागी भव, वैवाहककल्याणभागी भव, मुनींद्रकल्याणभागी भव, सुरेंद्रकल्याणभागी भव, मंदराभिषेक कल्याणभागी भव, यौवराज्यकल्याणभागी भव, महाराजकल्याणभागी भव, परमराज्यकल्याणभागी भव और अर्हंत्यकल्याणमागी भव । महापुराण 38. 55, 83-84, 40.103-107