रंगसेना: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र में चंदनवन नगर के राजा अमोघदर्शन की एक वेश्या । यह वेश्या कामपताका की जननी थी । इसको पुत्री के नृत्य पर राजकुमार चारुचंद्र और ऋषि कौशिक दोनों मुग्ध थे । चारुचंद्र के उसे विवाह लेने पर कौशिक ऋषि ने इसकी पुत्री को पाने के लिए राजा से याचना की थी और राजा ने कौशिक ऋषि के पास इसकी कन्या राजकुमार द्वारा विवाहे जाने की सूचना भिजवाई थी । इस समाचार से क्षुब्ध होकर कौशिक ऋषि ने सर्प बनकर मारने की धमकी दी, जिसे सुनकर राजा तापस हो गया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 29.24-33 </span>देखें [[ कौशिक ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र में चंदनवन नगर के राजा अमोघदर्शन की एक वेश्या । यह वेश्या कामपताका की जननी थी । इसको पुत्री के नृत्य पर राजकुमार चारुचंद्र और ऋषि कौशिक दोनों मुग्ध थे । चारुचंद्र के उसे विवाह लेने पर कौशिक ऋषि ने इसकी पुत्री को पाने के लिए राजा से याचना की थी और राजा ने कौशिक ऋषि के पास इसकी कन्या राजकुमार द्वारा विवाहे जाने की सूचना भिजवाई थी । इस समाचार से क्षुब्ध होकर कौशिक ऋषि ने सर्प बनकर मारने की धमकी दी, जिसे सुनकर राजा तापस हो गया था । <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 29.24-33) </span>देखें [[ कौशिक ]]</p> | ||
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Revision as of 20:03, 11 December 2022
भरतक्षेत्र में चंदनवन नगर के राजा अमोघदर्शन की एक वेश्या । यह वेश्या कामपताका की जननी थी । इसको पुत्री के नृत्य पर राजकुमार चारुचंद्र और ऋषि कौशिक दोनों मुग्ध थे । चारुचंद्र के उसे विवाह लेने पर कौशिक ऋषि ने इसकी पुत्री को पाने के लिए राजा से याचना की थी और राजा ने कौशिक ऋषि के पास इसकी कन्या राजकुमार द्वारा विवाहे जाने की सूचना भिजवाई थी । इस समाचार से क्षुब्ध होकर कौशिक ऋषि ने सर्प बनकर मारने की धमकी दी, जिसे सुनकर राजा तापस हो गया था । (हरिवंशपुराण 29.24-33) देखें कौशिक