विंध्यश्री: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> | <div class="HindiText"> <p> विंध्यपुरी के राजा विंध्यकेतु और रानी प्रियंगुखी की पुत्री । वसंततिलका उद्यान में इसे सर्प ने काट दिया था । सुलोचना ने इसे पंच नमस्कार मंत्र सुनाया था । मंत्र के प्रभाव से यह मरणोपरांत गंगा देवी हुई । <span class="GRef"> महापुराण 45. 153-116 </span></p> | ||
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Revision as of 22:05, 17 January 2023
विंध्यपुरी के राजा विंध्यकेतु और रानी प्रियंगुखी की पुत्री । वसंततिलका उद्यान में इसे सर्प ने काट दिया था । सुलोचना ने इसे पंच नमस्कार मंत्र सुनाया था । मंत्र के प्रभाव से यह मरणोपरांत गंगा देवी हुई । महापुराण 45. 153-116