शांति: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
देखें [[ सामायिक#1.1 | सामायिक - 1.1]]। | <p class="HindiText">किसी प्रकार की भी आकृति अक्षर वर्ण का विकल्प न करके जहाँ केवल एक शुद्ध चैतन्य मात्र में स्थिति होती है, वह साम्य है।]</p></li><p class="SanskritText">त.अनु/मू. 139 माध्यस्थ्यं समतोपेक्षावैराग्यं साम्यमस्पृहा। वैतृष्ण्यं प्रशमः शांतिरित्येकार्थोऽभिधीयते ।139।</p> | ||
<p class="HindiText">= माध्यस्थ्य, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृहा, वैतृष्ण्य प्रशम और शांति ये सब एक ही अर्थ को लिए हुए हैं। | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिए देखें [[ सामायिक#1.1 | सामायिक - 1.1]]। | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 23:13, 20 December 2022
सिद्धांतकोष से
किसी प्रकार की भी आकृति अक्षर वर्ण का विकल्प न करके जहाँ केवल एक शुद्ध चैतन्य मात्र में स्थिति होती है, वह साम्य है।]
त.अनु/मू. 139 माध्यस्थ्यं समतोपेक्षावैराग्यं साम्यमस्पृहा। वैतृष्ण्यं प्रशमः शांतिरित्येकार्थोऽभिधीयते ।139।
= माध्यस्थ्य, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृहा, वैतृष्ण्य प्रशम और शांति ये सब एक ही अर्थ को लिए हुए हैं।
अधिक जानकारी के लिए देखें सामायिक - 1.1। पूर्व पृष्ठ अगला पृष्ठ
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 202
(2) एक विद्या । यह दशानन को सिद्ध थी । महापुराण 7.331-332
(3) भरत के साथ दीक्षित एवं परमात्मपद प्राप्त एक राजा । पद्मपुराण 88. 1-6