श्रीचंद्र: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
Line 28: | Line 28: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 22:35, 17 October 2022
सिद्धांतकोष से
पुराणसार संग्रह तथा दंसणकहारयणकरंड के कर्त्ता अपभ्रंश कवि। गुरु परंपरा-नंदिसंघ देशीयगण में श्रीकीर्ति, श्रुतकीर्ति, सहस्रकीर्ति, वीरचंद्र, श्रीचंद्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1123 (ई.1066)। (ती./4/131)।
पुराणकोष से
आगामी छठा बलभद्र । इन्हें महापुराण में नौवां बलभद्र कहा है । महापुराण 76.486, हरिवंशपुराण 60. 568
(2) आठवें बलभद्र पद्म के पूर्वभव का नाम । पद्मपुराण 20. 233
(3) कुरुवंशी एक राजा । यह मंदर का पुत्र और सुप्रतिष्ठ राजा का पिता था । यह जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी कुरूजांगल देश में हस्तिनापुर नगर का राजा था । इसकी रानी श्रीमती थी । यह सुप्रतिष्ठ पुत्र को राज्य सौंपकर सुमंदर यति से दीक्षित हुआ और अंत में मुक्त हुआ । महापुराण 70.51-53, हरिवंशपुराण 34. 43-44, 45.11-12
(4) किष्किंध नगर के राजा सुग्रीव का मंत्री । इसने कृत्रिम सुग्रीव के साथ युद्ध करने को तत्पर देखकर सुग्रीव को रीक दिया था । पद्मपुराण 47.57
(5) मेरु पर्वत की पश्चिम दिशा में स्थित प्रेमपुरी नगरी के राजा विपुलवाहन और रानी पद्मावती का राजपुत्र । इसने समाधिगुप्त मुनिराज से धर्मोपदेश सुनकर धृतिकांत पुत्र को राज्य सौंपकर मुनि दीक्षा ले ली थी । अंत में समाधिमरण करके यह ब्रह्म स्वर्ग का इंद्र हुआ । इस स्वर्ग से चयकर यह दशरथ का पद्म (राम) नामक ज्येष्ठ पुत्र हुआ । पद्मपुराण 106.75-76, 109-119, 172-173