सुलोचन: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) विहायस्तिलक नगर का राजा । इसका सहस्रनयन पुत्र तथा उत्पलमती पुत्री थी । भरतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के चक्रवालनगर का राजा पूर्णधन इसकी पुत्री को चाहता था किंतु निमित्तज्ञानी के अनुसार इसने अपनी पुत्री पूर्णधन को न देकर सगर चक्रवर्ती को दी थी । इसके लिए इसे पूर्णधन के साथ युद्ध भी करना | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) विहायस्तिलक नगर का राजा । इसका सहस्रनयन पुत्र तथा उत्पलमती पुत्री थी । भरतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के चक्रवालनगर का राजा पूर्णधन इसकी पुत्री को चाहता था किंतु निमित्तज्ञानी के अनुसार इसने अपनी पुत्री पूर्णधन को न देकर सगर चक्रवर्ती को दी थी । इसके लिए इसे पूर्णधन के साथ युद्ध भी करना पड़ा था तथा यह युद्ध में पूर्णधन के द्वारा मारा गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.76-80 </span></p> | ||
<p id="2">(2) राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी का बीसवां पुत्र । <span class="GRef"> पांडवपुराण 8.195 </span></p> | <p id="2">(2) राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी का बीसवां पुत्र । <span class="GRef"> पांडवपुराण 8.195 </span></p> | ||
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Revision as of 15:15, 30 September 2022
सिद्धांतकोष से
विहायसतिलक नगर का राजा। सगरचक्री का ससुर ( पद्मपुराण/5/77-78 )।
पुराणकोष से
(1) विहायस्तिलक नगर का राजा । इसका सहस्रनयन पुत्र तथा उत्पलमती पुत्री थी । भरतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के चक्रवालनगर का राजा पूर्णधन इसकी पुत्री को चाहता था किंतु निमित्तज्ञानी के अनुसार इसने अपनी पुत्री पूर्णधन को न देकर सगर चक्रवर्ती को दी थी । इसके लिए इसे पूर्णधन के साथ युद्ध भी करना पड़ा था तथा यह युद्ध में पूर्णधन के द्वारा मारा गया था । पद्मपुराण 5.76-80
(2) राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी का बीसवां पुत्र । पांडवपुराण 8.195