हैरण्यवत: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> | <span class="HindiText">हैरण्यवत क्षेत्र का अवस्थान व विस्तारादि - देखें [[ जंबूद्वीप_निर्देश#3.3 | जंबूद्वीप निर्देश - 3.3]]। </span></li> | ||
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<span class="HindiText"> | <span class="HindiText">हैरण्यवतक्षेत्र में काल वर्तन आदि संबंधी विशेषता - देखें [[ काल#4.15 | काल - 4.15]]। </span></li> | ||
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Revision as of 20:16, 11 October 2022
सिद्धांतकोष से
- राजवार्तिक/3/10/17/181/19 हिरण्यवान् रुक्मिनामा पर्वतस्तस्यादूरभवत्वाद्धैरण्यवतव्यपदेश:। =[अढाई द्वीपस्थ प्रसिद्ध छठा क्षेत्र है] रुक्मि के उत्तर शिखरी के दक्षिण तथा पूर्व पश्चिम समुद्रों के बीच हैरण्यवत क्षेत्र है।
- हैरण्यवत क्षेत्र का अवस्थान व विस्तारादि - देखें जंबूद्वीप निर्देश - 3.3।
- हैरण्यवतक्षेत्र में काल वर्तन आदि संबंधी विशेषता - देखें काल - 4.15।
- रुक्मि पर्वतस्थ एक कूट व उसका स्वामी देव - देखें द्वीप पर्वतों आदि के नाम रस आदि - 5.4.8;
- शिखरी पर्वतस्थ एक कूट व उसका सवामी देव - देखें द्वीप पर्वतों आदि के नाम रस आदि - 5.4.9।
पुराणकोष से
(1) जंबूद्वीप के सात क्षेत्रों में छठा क्षेत्र । इसका विस्तार 2105 5/19 योजन हं । महापुराण 63.192, पद्मपुराण 105.159-160, हरिवंशपुराण 5.13-14 देखें क्षेत्र
(2) रुक्मी पर्वत के आठ कूटों में सातवां कूट । हरिवंशपुराण 5.103
(3) शिखरी पर्वत के ग्यारह कूटों में तीसरा कूट । हरिवंशपुराण 5. 106