कीर्तिधर: Difference between revisions
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<li> प.पु./मू./१२३/१६६ के आधार पर; प.पु./प्र.२१/पं॰ पन्नालाल—बड़े प्राचीन आचार्य हुए हैं। कृति–रामकथा (पद्यचरित)। इसी को आधार करके रविषेणाचार्य ने पद्मपुराण की और स्वयम्भू कवि ने पउमचरिउ की रचना की। समय–ई॰ ६०० लगभग। </li> | |||
<li>प.पु./२१ श्लोक ‘‘सुकौशल स्वामी के पिता थे। पुत्र सुकौशल के उत्पन्न होते ही दीक्षा धारण की (१५७−१६५) तदनन्तर स्त्री ने शेरनी बनकर पूर्व वैर से खाया, परन्तु आपने उपसर्ग को साम्य से जीत मुक्ति प्राप्त की। (२२/९८)। </li> | |||
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Revision as of 21:18, 24 December 2013
- प.पु./मू./१२३/१६६ के आधार पर; प.पु./प्र.२१/पं॰ पन्नालाल—बड़े प्राचीन आचार्य हुए हैं। कृति–रामकथा (पद्यचरित)। इसी को आधार करके रविषेणाचार्य ने पद्मपुराण की और स्वयम्भू कवि ने पउमचरिउ की रचना की। समय–ई॰ ६०० लगभग।
- प.पु./२१ श्लोक ‘‘सुकौशल स्वामी के पिता थे। पुत्र सुकौशल के उत्पन्न होते ही दीक्षा धारण की (१५७−१६५) तदनन्तर स्त्री ने शेरनी बनकर पूर्व वैर से खाया, परन्तु आपने उपसर्ग को साम्य से जीत मुक्ति प्राप्त की। (२२/९८)।