कुमार: Difference between revisions
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<li><span class="HindiText"> आत्म–प्रबोध/प्र.पं॰ गजाधरलाल-आप कविवर थे। द्विजवंशावतंस विद्वद्वर गोविन्दभट्ट के ज्येष्ठ पुत्र थे व प्रसिद्ध कवि हस्तिमल्ल के ज्येष्ठ भ्राता थे। समय–ई॰ १२९० वि॰ १३४७। कृति–आत्मप्रबोध। </span></li> | |||
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<li><span class="HindiText"> नागर शाखा के आचार्य कुमारनन्दि जिन्होंने मथुरा के सरस्वती आन्दोलन में ग्रन्थ निर्माण का कार्य था। नागर शाखा ई. श.१ में विद्यमान थी। (जै./२/१३५) </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> द्वि.कुमारनन्दि का नाम कुन्दकुन्द के शिक्षागुरु के रूप में याद किया जाता है। लोहाचार्य तथा माघनन्दि के समकालीन अनुमान किये जाते हैं। (पं.का./ता.वृ./मंगलाचरण/१) : (का॰ अ॰/प्र॰ ७०/A.N. up) माघनन्दि के अनुसार आप का काल वी.नि. ५७५−६१४ (ई॰४८−८७)। दे०−इतिहास/७/४।–नन्दिसंघ बलात्कारगण के अनुसार विक्रम शक स॰ ३६−४० (ई॰ ११४−११८)। श्रुतावतार के अनुसार वि॰ नि॰ ५९३−६१४ (ई॰ ६६−८७) नन्दिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार (देखें - [[ इतिहास | इतिहास ]]) आप वज्रनन्दि के शिष्य तथा लोकचन्द्र के गुरु थे-विक्रम शक सं॰ ३८६−४२७ (ई॰ ४६४−५०५)। समय–४१ वर्ष आता है। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> कार्तिकेयानुप्रेक्षा के कर्ता कुमार स्वामी उमास्वामी के समकालीन या उनके कुछ उत्तरवर्ती हैं। का॰अ॰/३९४ की टीका में जो ऐसा उल्लेख प्राप्त होता है कि </span><span class="SanskritText">‘‘स्वामी कार्तिकेयमुनि: क्रौञ्चराजकृतोपसर्गसोढ्वासाम्यपरिणामेण देवलोके प्राप्त:।’’</span><span class="HindiText"> यह सम्भवत: किसी दूसरे व्यक्ति के लिए लिखा गया प्रतीत होता है। भ॰अ॰/१५४९ में क्रौंच पक्षी कृत उपसर्ग को प्राप्त एक व्यक्ति का उल्लेख मिलता है। उमास्वामी के अनुसार कुमार स्वामी का समय वि॰श॰ २−३ (ई॰ श॰ २ का मध्य) आता है। (जै॰/२/१३४,१३८)। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> कुमारसेन गुरु चन्द्रोदय के कर्ता आ॰प्रभाचन्द के गुरु थे। आपने मूलकुण्ड नामक स्थान पर समाधिमरण किया था। वि॰ ७५३ में आपने काष्ठा संघ की स्थापना की थी। तदनुसार इनका समय वि॰श॰ ८(ई॰ श॰८ पूर्व) कल्पित किया जा सकता है। (ती./२/३५१): (इतिहास/७/९,९)। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> कुमार नन्दि आचार्य ‘वादन्याय’ ग्रन्थ के रचयिता एक महान् जैन नैयायिक तथा तार्किक थे। आ॰ विद्यानन्द ने अपने ग्रन्थों में इनकी कारिकायें उद्धृत की हैं। समय−अकलंक तथा विद्यानन्दि के मध्य ई॰श॰ ८−९ का मध्य। (ती॰/२/३५०,४४८)। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> पंचस्तूप संघ की गुर्वावली के अनुसार द्वि॰ कुमारसेन विनयसेन के शिष्य थे। नाथूराम जी प्रेमी के अनुसार ये काष्ठा संघ के संस्थापक थे। समय−वि॰ ८४५−९५५ ई॰ ७८८−८९९)। परन्तु सि॰वि./प्र॰ ३८/पं॰ महेन्द्र कुमार के अनुसार ई॰ ७२०−८००। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> नन्दिसंघदेशीयगण के अनुसार आविद्धकरण पद्मनन्दि न॰ २ का नाम कौमार देव था। समय ई॰ ९३०−१०३०/ देखें - [[ इतिहास#7.5 | इतिहास / ७ / ५ ]]।</span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> कुमार पण्डित जिनका समय ई॰ १२३९ है (का॰अ॰/प्र॰७१/A.N.up)। </span></li> | |||
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Revision as of 21:18, 24 December 2013
- श्रेयांसनाथ भगवान् का शासक यक्ष– देखें - तीर्थंकर / ५ / ३ ।
- आत्म–प्रबोध/प्र.पं॰ गजाधरलाल-आप कविवर थे। द्विजवंशावतंस विद्वद्वर गोविन्दभट्ट के ज्येष्ठ पुत्र थे व प्रसिद्ध कवि हस्तिमल्ल के ज्येष्ठ भ्राता थे। समय–ई॰ १२९० वि॰ १३४७। कृति–आत्मप्रबोध।
इस नाम के अनेकों आचार्य, पंडित व कवि आदि हुए हैं जैसे कि-
- नागर शाखा के आचार्य कुमारनन्दि जिन्होंने मथुरा के सरस्वती आन्दोलन में ग्रन्थ निर्माण का कार्य था। नागर शाखा ई. श.१ में विद्यमान थी। (जै./२/१३५)
- द्वि.कुमारनन्दि का नाम कुन्दकुन्द के शिक्षागुरु के रूप में याद किया जाता है। लोहाचार्य तथा माघनन्दि के समकालीन अनुमान किये जाते हैं। (पं.का./ता.वृ./मंगलाचरण/१) : (का॰ अ॰/प्र॰ ७०/A.N. up) माघनन्दि के अनुसार आप का काल वी.नि. ५७५−६१४ (ई॰४८−८७)। दे०−इतिहास/७/४।–नन्दिसंघ बलात्कारगण के अनुसार विक्रम शक स॰ ३६−४० (ई॰ ११४−११८)। श्रुतावतार के अनुसार वि॰ नि॰ ५९३−६१४ (ई॰ ६६−८७) नन्दिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार (देखें - इतिहास ) आप वज्रनन्दि के शिष्य तथा लोकचन्द्र के गुरु थे-विक्रम शक सं॰ ३८६−४२७ (ई॰ ४६४−५०५)। समय–४१ वर्ष आता है।
- कार्तिकेयानुप्रेक्षा के कर्ता कुमार स्वामी उमास्वामी के समकालीन या उनके कुछ उत्तरवर्ती हैं। का॰अ॰/३९४ की टीका में जो ऐसा उल्लेख प्राप्त होता है कि ‘‘स्वामी कार्तिकेयमुनि: क्रौञ्चराजकृतोपसर्गसोढ्वासाम्यपरिणामेण देवलोके प्राप्त:।’’ यह सम्भवत: किसी दूसरे व्यक्ति के लिए लिखा गया प्रतीत होता है। भ॰अ॰/१५४९ में क्रौंच पक्षी कृत उपसर्ग को प्राप्त एक व्यक्ति का उल्लेख मिलता है। उमास्वामी के अनुसार कुमार स्वामी का समय वि॰श॰ २−३ (ई॰ श॰ २ का मध्य) आता है। (जै॰/२/१३४,१३८)।
- कुमारसेन गुरु चन्द्रोदय के कर्ता आ॰प्रभाचन्द के गुरु थे। आपने मूलकुण्ड नामक स्थान पर समाधिमरण किया था। वि॰ ७५३ में आपने काष्ठा संघ की स्थापना की थी। तदनुसार इनका समय वि॰श॰ ८(ई॰ श॰८ पूर्व) कल्पित किया जा सकता है। (ती./२/३५१): (इतिहास/७/९,९)।
- कुमार नन्दि आचार्य ‘वादन्याय’ ग्रन्थ के रचयिता एक महान् जैन नैयायिक तथा तार्किक थे। आ॰ विद्यानन्द ने अपने ग्रन्थों में इनकी कारिकायें उद्धृत की हैं। समय−अकलंक तथा विद्यानन्दि के मध्य ई॰श॰ ८−९ का मध्य। (ती॰/२/३५०,४४८)।
- पंचस्तूप संघ की गुर्वावली के अनुसार द्वि॰ कुमारसेन विनयसेन के शिष्य थे। नाथूराम जी प्रेमी के अनुसार ये काष्ठा संघ के संस्थापक थे। समय−वि॰ ८४५−९५५ ई॰ ७८८−८९९)। परन्तु सि॰वि./प्र॰ ३८/पं॰ महेन्द्र कुमार के अनुसार ई॰ ७२०−८००।
- नन्दिसंघदेशीयगण के अनुसार आविद्धकरण पद्मनन्दि न॰ २ का नाम कौमार देव था। समय ई॰ ९३०−१०३०/ देखें - इतिहास / ७ / ५ ।
- कुमार पण्डित जिनका समय ई॰ १२३९ है (का॰अ॰/प्र॰७१/A.N.up)।